
How to Deal Kids with small Things: बच्चों की परवरिश की बात जब उठती है तो सलाह दी जाती है कि बच्चों को सही गलत की पहचान करानी चाहिए. अक्सर घरों में पेरेंट बच्चों को हर बात समझाते नजर आते हैं. देखा जाए तो ये सही बात है कि बच्चों को सही गलत की पहचान कराना मां बाप का काम है. लेकिन सही गलत की पहचान करने के अलावा अगर आप बच्चे की छोटी से छोटी बात पर उसे टोक (Scolding Side Effect for kids) रहे हैं तो इसका बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है. जी हां, पेरेंटिंग एक्सपर्ट कहते है कि बच्चे को बार बार टोकने या डांटने पर उसके कॉन्फिडेंस में कमी आती है और उसकी डिसीजन मेकिंग पावर (psychological effects of yelling at a child) पर बुरा असर पड़ता है. चलिए जानते हैं कि बच्चे को हर छोटी से छोटी बात पर टोकने (negative effects of yelling at a child) से क्या होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है.
बच्चे को हर छोटी बड़ी बात पर टोकना है बुरा (Yelling on kids is bad for their Future)
आमतौर पर मां घर में जब बच्चे के साथ दिन गुजारती है तो वो छोटी छोटी बात पर उसे टोकती है. मां को लगता है कि कहीं बच्चा कोई गलत काम न करे, इसलिए वो बच्चे को हर बात पर निर्देश देती है. ये गलत है, छोटी छोटी बातों पर बच्चे को टोकना नहीं चाहिए. छोटी बातों या छोटी गलतियों को कभी कभी नजरंदाज कर देना चाहिए. जैसे अगर बच्चा कहता है कि मैं ये वाली ड्रेस नहीं पहनूंगा, मैं ये जूते नहीं पहनूंगा, दूसरे जूते पहनूंगा. ऐसे में मां को बच्चे पर अपनी मर्जी नहीं थोपना चाहिए.अगर बच्चा कहता है कि मैं साग नहीं खाऊंगा या कोई और सब्जी खाने की करता है तो मां को ये बात मान लेनी चाहिए. दरअसल ये इतनी छोटी छोटी बातें हैं जिनका फैसला बच्चे को करने देना चाहिए. इन मामलों को मां बाप को नजरंदाज कर देना चाहिए. अगर आप इन बातों पर भी बच्चे को डांटते या फटकारते हैं तो बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ता है.
बार बार टोकने का बच्चे पर पड़ता है ऐसा असर (Side Effects of Scolding Kids)
एक्सपर्ट कहते हैं कि बचपन में बार बार टोकने से बच्चे की डिसीजन मेकिंग क्षमता पर बुरा असर पड़ता है. अगर आप बचपन में उस पर अपनी हर बात थोपेंगे तो आगे जाकर वो फैसले नहीं कर पाएगा. ऐसा बच्चा बड़ा होकर फैसला करते समय कंफ्यूज रहेगा और उसके फ्यूचर पर इसका बुरा असर पड़ेगा. मां बाप के बार बार टोकने या डांटने पर बच्चे का कॉन्फिडेंस लूज हो जाता है. उन्हें ये लगता है कि वो कुछ सही नहीं कर सकते हैं और ऐसे में वो अपने आपको कमतर महसूस करने लगते हैं. इससे उसकी पॉजिटिव सोच पर भी निगेटिव असर पड़ता है. ऐसे बच्चे सही फैसले नहीं ले पाते हैं और उनकी लाइफ पर इसका बुरा असर होता है. बार बार टोकने पर बच्चे जिद्दी और गुस्सैल हो जाते हैं.
बच्चे के साथ ऐसे करें डील (How to Deal with kids)
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा कोई फैसला करने वाला है तो उसे फैसला करने दीजिए. इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा. उसके फैसले को समझिए और अगर आपको लगता है कि वो गलत कर रहा है तो शांत होकर उसे सलाह दीजिए. बच्चे से अगर कोई छोटी गलती हो जाती है तो उसे नजरंदाज करना सीखिए. अगर उससे कोई चीज टूट गई, उसने कुछ गलत काम किया, उसने कोई सब्जी नहीं खाई. ऐसी बातों को नजरअंदाज करना सही है. अगर मां बाप बच्चे को छोटी मोटी गलतियां करने के बाद सीखने का मौका नहीं देते हैं तो बच्चा आगे जाकर डिसीजन नहीं ले पाता. इसलिए छोटी छोटी बातों पर बच्चे को टोकना बंद कर देना चाहिए.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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