Sibling Rivalry: कहते हैं कि बच्चों को पालना (Parenting) एक बड़ा ही मुश्किल काम होता है, हालांकि ये असल में ऐसा ही है. अगर बच्चों की सही से परवरिश नहीं हो और उन पर ध्यान नहीं दिया जाए तो वो आपके लिए बड़े होकर सिरदर्द बन सकते हैं. इसके अलावा जब बच्चा जिद्दी हो जाता है तो वो फिर किसी की नहीं सुनता है. खासतौर पर जब दो बच्चे (Kids) घर पर हों तो उन्हें हैंडल करना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. पेरेंट्स को समझ नहीं आता है कि वो क्या करें और किसे समझाएं. ऐसे में बच्चों की लड़ाई से लेकर उनके मसलों को आपको कुछ खास तरीके से सुलझाना होगा, अगर ऐसा नहीं किया तो ये खतरनाक भी हो सकता है.
छोटी लड़ाई बन सकती है बड़ी (Small Fight Can Be Big)
अब कई मां-बाप ऐसे होते हैं जो ये सोचकर तमाम चीजों को इग्नोर करते रहते हैं कि उनके बच्चे आपस में लड़ते हैं तो इसमें कोई नई बात नहीं है. क्योंकि वो तो बच्चे हैं, वो ऐसी हरकतें करेंगे ही... लेकिन उन्हें अपनी गलती का एहसास तब होता है जब बात हाथ से निकल चुकी होती है. बच्चे एक दूसरे को नफरत करने लगते हैं और देखते ही देखते खून का ये रिश्ता खराब होने लगता है. बच्चों के समझ नहीं आता है कि वो क्या कर रहे हैं. इसीलिए आपको ये बोलकर बिल्कुल भी इग्नोर नहीं करना है कि ये सब तो होता रहता है.
बच्चों में फर्क करना (Making a difference in children)
ज्यादातर पेरेंट्स सबसे बड़ी गलती ये करते हैं कि वो अपने बच्चों में फर्क करना शुरू कर देते हैं, जैसे कि अगर छोटे बच्चे ने कोई गलती की है तो वो उसकी तुलना बड़े से करने लगते हैं. उसे ताने मारने लगते हैं कि अपने बड़े भाई से कुछ सीख ले, तू उसके जैसा कभी नहीं हो सकता है. ऐसे में उस बच्चे के अंदर हीन भावना जाग सकती है, साथ ही वो अपने बड़े भाई से नफरत करना भी शुरू कर सकता है. अगर वो शरारत कर रहा है तो उसे प्यार से समझाएं, बगैर तुलना किए उसे सिखाएं कि उसने क्या गलती की है.
दोनों को कराएं गलती का एहसास (Make Them Realise Their Mistakes)
कई माता-पिता अपने एक बच्चे की साइड लेने लगते हैं, ये भी एक तरह का फर्क करना ही होता है. जैसे कि अगर दोनों में लड़ाई हुई है तो हमेशा एक बच्चे से ही सॉरी बुलवाते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. आपको दोनों से कहना चाहिए कि उनकी बराबर गलती है, ऐसे में दोनों ही सॉरी बोलेंगे, या फिर जो भी सजा मिलेग वो दोनों को मिलेगी. इसी तरह अच्छे काम में भी दोनों को सराहना चाहिए.
आपस में मिलकर रहना और शेयरिंग (Sharing)
बच्चों को हमेशा ये सिखाएं कि आपस में मिलकर रहना कितना जरूरी होता है, इसके अलावा शेयरिंग इज केयरिंग वाला फॉर्मूला हमेशा अपनाएं. उन्हें सिखाएं कि कोई भी खिलौना या फिर खाने वाली चीज कैसे एक दूसरे से शेयर करनी है. जिससे वो एक दूसरे के साथ मिलकर रहेंगे और चीजों को शेयर भी करेंगे. इससे उनके बीच एक बॉन्ड भी बनेगा और झगड़े भी कम हो जाएंगे. यानी आपका काम काफी आसान हो जाएगा.
फैसला लेना सिखाएं (Learn How To Take Decision)
अपने दोनों बच्चों को फैसला लेना सिखाना जरूरी है. अगर कोई लड़ाई हुई है तो उसे कितना लंबा खींचना है और कहां उसे खत्म करना है ये उन्हें खुद पता होना चाहिए. इसके अलावा अपने लिए तमाम तरह के फैसले भी उन्हें खुद लेना सिखाएं. उन्हें दो से तीन विकल्प दें और खुद फैसला लेने को कहें, ऐसा करने से उनकी फैसला लेने की शक्ति में इजाफा होगा और आगे वो खुद ही चीजों को सुलझा लेंगे. इन तमाम टिप्स को फॉलो कर आप अपने बच्चों को एक दूसरे के साथ हेल्दी रिलेशनशिप सिखा देंगे और आपको हर बार उनके बीच जाकर चीजों को नहीं हैंडल करना पड़ेगा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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