
- आज है राष्ट्रीय खेल दिवस.
- इस दिन मेजर ध्यानचंद का हुआ था जन्म.
- बच्चों को इस तरह सिखाएं खेलों में भाग लेना.
National Sports Day: हर साल 29 अगस्त के दिन हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की जन्मतिथि पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. इस दिन कोशिश की जाती है कि फिजिकल एक्टिविटी और खेलों (Sports) के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जा सके. साथ ही, लोगों को खेलों में दिलचस्पी लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है. इस दिन को पूरे भारत में 2012 से मनाया जा रहा है. बता दें कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 में हुआ था और उन्होंने हॉकी (Hockey) में भारत का नाम विश्वप्रसिद्ध किया था.
चाहे सानिया मिर्जा हों या पी.वी सिंधु और विराट कोहली, बच्चे खेलों के इन खिलाड़ियों में दिलचस्पी तो लेते हैं लेकिन किसी स्पोर्ट्स को चुनने या किसी खेल का हिस्सा बनने से अक्सर कतराते हैं. ऐसे में कुछ टिप्स की मदद से आप बच्चों में स्पोर्ट्स के प्रति उत्साह पैदा कर सकते हैं और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं.
बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करना | How To Encourage Children To Play
एक्सरसाइज कराना बच्चे खेलों में तभी मन लगाते हैं जब वे एक्टिव होते हैं और लंबे समय तक बिना थके खेल पाते हैं. अगर बच्चे एक्टिव नहीं होंगे और उनमें स्टेमिना की कमी होगी तो वे खेलों से जी चुराने लगेंगे. इसलिए उनमें रोजाना एक्सरसाइज (Exercise) करने की आदत डालें जिससे किसी स्पोर्ट में हिस्सा लेने पर वे बिना जल्दी से थके उसे पूरी तरह एंजोय कर पाएंगे.
एक्टीविटीजबच्चों को किसी चीज को समझाने के लिए थियोरी बताने की बजाय प्रैक्टिकल पर फोकस करें. किताबों में जब वे स्पोर्ट्स या फिर फिजिकल एजुकेशन के बारे में पढ़ते हैं तो उन्हें एक्टिविटीज करवाएं जिससे प्रोडक्टिव हैबिट्स अपना सकें. स्कूल में जब उन्हें खेलों के लिए आगे आने को कहा जाता है तो ये बच्चे ही सबसे आगे रहते हैं क्योंकि इनमें कोंफिडेंस भी होता है.
बच्चे के रोल मोडल बनें
माता-पिता (Parents) दोनों को ही बच्चों के साथ खेलों में हिस्सा लेना चाहिए. आप छुट्टी के दिन या रोजाना पार्क जाकर बच्चे के साथ छोटे-मोटे खेल खेल सकते हैं. बच्चे माता-पिता को देखकर भी अपनी रुचि बनाते हैं और उन्हें देखकर प्रोत्साहित भी होते हैं.
बच्चे को छोटी उम्र से ही विनर (Winner) बनाने पर ना तुल जाएं, उसे सीखने और खेलों को समझने का मौका दें. छोटी-मोटी गेम्स बच्चों को मजेदार लगती हैं जिससे धीरे-धीरे वे असल स्पोर्ट की तरफ बढ़ते हैं.
हार-जीत दूर रखेंजब बच्चा किसी खेल में दिलचस्पी लेने लगता है तो वह हार-जीत के मायने अपने आसपास के वातावरण और माता-पिता से सीखता है. उसपर जीतने का प्रेशर या हार जाने पर अपनी निराशा ना थोपें. कई बच्चे हार के डर और सभी की अपेक्षाओं पर खरे ना उतर पाने के भय से भी खेलों से भागने लगते हैं. बच्चे को हार-जीत दोनों पर आगे बढ़ना और सकारात्मक रुख अपनाना सिखाएं और खुद भी सीखें.
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