
गुर्दे की डायलिसिस का विकल्प हो सकते हैं आयुर्वेद के फार्मूले : शोध
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2025 तक भारत समेत विश्व में 18 फीसदी पुरुष मोटापे का शिकार
21 फीसदी महिलाएं भी शामिल
मोटापे की वजह से सबसे ज्यादा खतरा गुर्दा रोगों का
इंडो अमेरिक जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक शोध पत्र में आयुर्वेद के ऐसे फार्मूलों का जिक्र किया गया है.
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आयुर्वेद के फार्मूले पर पांच जड़ी-बूटियों से बनी दवा 'नीरी केएफटी' को लेकर पिछले दिनों यह शोध प्रकाशित हुआ है. नीरी केएफटी का निर्माण गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद तथा पुनर्नवा से किया गया है. पुनर्नवा गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को फिर से पुनर्जीवित करने में कारगर होता है. इसलिए आजकल इस आयुर्वेदिक फार्मूले का इस्तेमाल बढ़ रहा है.
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग ने भी नीरी केएफटी के आयुर्वेदिक फार्मूले के प्रभाव का गहन अध्ययन किया है. उसके अनुसार नीरी केएफटी के इस्तेमाल से गुर्दा रोगियों में भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे केटेनिन, यूरिया, प्रोटीन की मात्रा तेजी से नियंत्रित हो रही है. गुर्दे की कुल कार्यप्रणाली में तेजी से सुधार देखा गया है. जो गुर्दे कम क्षतिग्रस्त थे, उनमें सुधार देखा गया है. प्रोफेसर के. एन. द्विवेद्वी ने कहा कि आयुर्वेद के फार्मूले गुर्दे की डायलिसिस का विकल्प हो सकते हैं.
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इस बीच पांडिचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने भी एक शोध में दावा किया है कि यदि गुर्दे की सेहत बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक फार्मूलों का इस्तेमाल किया जाए तो काफी हद तक डायलिसिस से बचा जा सकता है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2025 तक भारत समेत विश्व में 18 फीसदी पुरुष और 21 फीसदी महिलाएं मोटापे की चपेट में होंगी. उन्हें तब सबसे ज्यादा खतरा गुर्दा रोगों का होगा. इसलिए जीवनशैली में सुधार कर लोगों को इन खतरों से बचना होगा. गुर्दे की बीमारियों से बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ ने भी वैकल्पिक उपचार और खराब हो चुके गुर्दा रोगियों को बचाने के लिए गुर्दा दान को बढ़ावा देने की पैरवी की है.(इनपुट - आईएएनएस)
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