
Parenting Skills: सोशल स्किल्स हर व्यक्ति के लिए जरूरी हैं. जो लोग किसी से भी बिना झिझक बात कर लेते हैं उन्हें पर्सनल लाइफ ही नहीं बल्कि प्रोफेशनल लाइफ में भी मदद मिलती है. जिंदगी की रेस में अक्सर ही ये लोग आगे रहते हैं और लीडिंग रोल्स में देखने मिलते हैं. लेकिन, लोगों में इन सोशल स्किल्स (Social Skills) का विकास बचपन से ही होने लगता है. सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे क्लास में अच्छा परफॉर्म करें, मॉनीटर बनें, क्लास रिप्रजेंटेटिव बनें, हेड बॉय या हेड गर्ल बनें और जब स्कूल से निकलें तो काम की जगह पर भी लीडिंग रोल्स में दिखें. लेकिन, बच्चे अगर झिझकने वाले होते हैं और दूसरों से बात करने में शर्माते हैं तो माता-पिता की चिंता बढ़ जाती है. पैरेंट्स (Parents) को एक तरह से बच्चे का भविष्य खतरे में दिखने लगता है. ऐसे में पेरैंट एजुकेटर का कहना है कि बहुत शर्माने वाले बच्चों को भी सही तरह से समझाया जाए तो बच्चों की यह झिझक दूर होने लगती है और बच्चों की सोशल स्किल्स बेहतर होती नजर आती हैं. ऐसा कैसे होगा जानिए आप भी.
कैसे सुधारें बच्चे की सोशल स्किल्स । How To Improve Child's Social Skills
पैरेंट एजुकेटर Arpita Axay Pithava का कहना है कि पैरेंट्स का यह समझना जरूरी है कि इंट्रोवर्ट होना बुरा नहीं है. ऐसे में बच्चे के सामने अगर बार-बार यह कहा जाए कि ये तो बहुत शर्माता है, किसी से बात नहीं करता तो इससे बच्चे का कोंफिडेंस कम होने लगता है. इसीलिए बच्चे के सामने पैरेंट्स को बार-बार यह नहीं कहना चाहिए.
सुनाएं अपनी कहानियांअपनी ऑकवर्ड स्टोरी बच्चे के साथ शेयर करें. उसे बताएं कि आप पहली बार ऑफिस गए थे तो आपका दिन कैसा गया था. इससे बच्चे के दिमाग में एक छवि बनने लगती है कि पहले और अब के समय में पैरेंट्स में कितना बदलाव आया है. इससे बच्चा खुद भी इंस्पायर होता है.
जब गेस्ट से मिलना होअगर घर में गेस्ट आने वाले हैं या आप कहीं जाने वाले हैं तो बच्चे को पहले से तैयार करें. उसे बताएं कि आपको किसी से मिलना है तो कैसे उन्हें ग्रीट कहना है, नमस्ते या हाय हैल्लो कहना है. इंट्रोवर्ट बच्चों को अचानक से यह समझ नहीं आता है कि उन्हें दूसरों के सामने कैसे बिहेव करना है. इसीलिए बच्चे को पहले से प्रिपेयर करना सही रहता है.
रोल प्ले करना
आप रोल प्ले खेल सकते हैं जिसमें आप टीचर बन सकते हैं और बच्चा स्टुडेंट बनता है. टीचर बनकर बच्चे के साथ इंट्रैक्ट करने पर बच्चे का कोंफिडेंस बढ़ सकता है.
हमउम्र बच्चों के साथ खेलनाबच्चों के उम्र के ही दूसरे बच्चों को घर में बुलाएं. अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलकर और बातचीत करके बच्चों के लिए घुलना-मिलना आसान हो जाता है. इससे बच्चे की कम्यूनिकेशन स्किल्स (Communication Skills) बेहतर होती हैं.
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