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पालक-सेम की सब्जी और पलाश के फूलों से गया की महिलाएं बना रही हैं हर्बल गुलाल, विदेशों में है खूब डिमांड

Herbal Gulal : होली का त्योहार नजदीक आ रहा है और इसके साथ ही बाजार रंग-गुलाल से गुलजार होने लगे हैं, लेकिन बाजार में बिकने वाले नकली रंग कहीं आपकी खुशियों में खलल न डाल दें. 

पालक-सेम की सब्जी और पलाश के फूलों से गया की महिलाएं बना रही हैं हर्बल गुलाल, विदेशों में है खूब डिमांड
Organic holi colours : हरे गुलाल के लिए पालक और सेम के पत्तों का इस्तेमाल होता है.

Holi 2024 : होली एक ऐसा त्योहार है, जिसमें बड़े-छोटों का भेद मिट जाता है तो गिले-शिकवे भूलकर दुश्मन भी गले मिल जाते हैं. रंग-गुलाल से धरती-आसमान लाल हो जाते हैं और ढोल-झाल की ताल पर जमकर धमाल होता है. त्योहार के बाद भी आपकी खुशियां बरकरार रहें, इसके लिए जरूरी है कि केमिकल मिले रंग-गुलाल से बचा जाए.  दरअसल, सब्जियों के पत्ते और फूलों से तैयार होता है गुलाल. प्रकृति का श्रृंगार कहे जाने वाले होली के त्योहार को हर्बल रंग-गुलाल का उपहार देकर गया के ढुंगेश्वरी लारपुर की महिलाओं ने इसे और रंगीन बना दिया है. बाजार में बिक रहे केमिकल भरे रंग-गुलाल की जगह सब्जियों की पत्तियों और फूलों से तैयार ये हर्बल गुलाल वाकई कमाल का है. पालक के पत्ते, सेम के पत्ते, पलाश के फूल, गेंदे के फूल और गुलाब के फूल से तैयार हो रहा ये हर्बल गुलाल विदेशों तक धमाल मचा रहा है.

कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल : हर्बल गुलाल बनाने वाली मुन्नी देवी बताती हैं कि "हर्बल गुलाल बनाने के लिए सब्जियों की पत्तियों या फिर फूलों को उबालकर उसमें अरारोट मिलाकर गूंथा जाता है और फिर मिश्रण को सूखने के लिए धूप में डाल देते हैं. जब मिश्रण सूख जाता है, तो पलवलाइजर मशीन में डाल देते हैं और फिर निकलता है पूरी तरह से प्राकृतिक हर्बल गुलाल."

हर्बल गुलाल बनानेवाली महिलाएं बताती हैं कि वे कई रंगों के गुलाल तैयार करती हैं. हरे गुलाल के लिए पालक और सेम के पत्तों का इस्तेमाल होता है तो पीले गुलाल के लिए गेंदे का फूल इस्तेमाल किया जाता है. इसी तरह लाल गुलाल के लिए पलाश के फूल और गुलाबी के लिए गुलाब के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. गुलाल को सुगंधित बनाने के लिए उसमें थोड़ा चेहरे पर लगाने वाला पाउडर मिलाया जाता है, जो सत्यापित ब्रांडेड कंपनी का होता है."

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ढुंगेश्वरी लारपुर की पहचान बना हर्बल गुलाल: हर्बल गुलाल बनाने का ये उद्योग अब ढुंगेश्वरी लारपुर की पहचान तो बन ही गया है इलाके की महिलाओं की जीविका का साधन भी बन गया है. पिछले कई महीनों से महिलाएं गुलाल तैयार कर बाजार में सप्लाई कर रही हैं, जिससे अच्छी कमाई हो रही है.

 हो सके तो आप केमिकल से बचिए, हर्बल को अपनाइए होली को लेकर बाजार में कई तरह के केमिकल युक्त रंग-गुलाल बिक रहे हैं. रंगों में मिले केमिकल के इस्तेमाल से आंखों और स्किन में एलर्जी के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

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