जितना ज्यादा किसी व्यक्ति का ब्लड शूगर होगा उतना ही हृदय रोग का खतरा ज्यादा होगा।
मधुमेह भारत में तेजी से महामारी का रूप लेती जा रही है. इस बीमारी से भविष्य में भारत पर कितना बोझ पड़ेगा, अभी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. दिल के रोगों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण भी मधुमेह ही है, क्योंकि दोनों का आपस में सीधा संबंध है.
जीवनशैली का पड़ता है असर
जीवनशैली की अनियमितताएं मधुमेह, मोटापा और हाईपरटेंशन होने का खतरा बढ़ा देते हैं, जिससे दिल की बीमारियों और छोटी उम्र में मौत का खतरा बढ़ जाता है. शहरों में तनाव की वजह से मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि ग्रामीण इलाकों में शहरों के मुकाबले मधुमेह के मरीजों की तादाद महज एक चौथाई है.
क्या है कारण
इसका कारण यह है कि शहरों में लोग अत्यधिक तनाव में रहते हैं. वह व्यायाम कम करते हैं सोते कम हैं, मुख्य तौर पर अस्वास्थ्यकर खाना खाते हैं, खाने में अत्यधिक ट्रांसफैट, नमक और चीनी लेते हैं और तनाव से मुक्ति के लिए शराब और धूम्रपान का सहारा लेते हैं. इन बीमारियों को जड़ से मिटाने और इनसे होनी वाली समस्याओं से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है.
इनसुलिन भी है अहम
इनसुलिन न बनने की वजह से रक्त में मौजूद अत्यधिक शूगर मधुमेह एवं कॉरनरी एथेरोसिलेरोसिस की शुरुआत का कारण बनती है. धीरे-धीरे प्लॉक रक्त धमनियों को सख्त और तंग कर देती है. इससे दिल की मांसपेशियों तक आक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता. आगे चल कर प्लाक जमने से धमनियां फट सकती हैं और रक्त के थक्के जम सकते हैं और धमनियों के पूरी तरह से बंद होने की वजह से दिल का दौरा पड़ता है.
इन बातों का रखें ध्यान
जीवनशैली का पड़ता है असर
जीवनशैली की अनियमितताएं मधुमेह, मोटापा और हाईपरटेंशन होने का खतरा बढ़ा देते हैं, जिससे दिल की बीमारियों और छोटी उम्र में मौत का खतरा बढ़ जाता है. शहरों में तनाव की वजह से मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि ग्रामीण इलाकों में शहरों के मुकाबले मधुमेह के मरीजों की तादाद महज एक चौथाई है.
क्या है कारण
इसका कारण यह है कि शहरों में लोग अत्यधिक तनाव में रहते हैं. वह व्यायाम कम करते हैं सोते कम हैं, मुख्य तौर पर अस्वास्थ्यकर खाना खाते हैं, खाने में अत्यधिक ट्रांसफैट, नमक और चीनी लेते हैं और तनाव से मुक्ति के लिए शराब और धूम्रपान का सहारा लेते हैं. इन बीमारियों को जड़ से मिटाने और इनसे होनी वाली समस्याओं से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है.
इनसुलिन भी है अहम
इनसुलिन न बनने की वजह से रक्त में मौजूद अत्यधिक शूगर मधुमेह एवं कॉरनरी एथेरोसिलेरोसिस की शुरुआत का कारण बनती है. धीरे-धीरे प्लॉक रक्त धमनियों को सख्त और तंग कर देती है. इससे दिल की मांसपेशियों तक आक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता. आगे चल कर प्लाक जमने से धमनियां फट सकती हैं और रक्त के थक्के जम सकते हैं और धमनियों के पूरी तरह से बंद होने की वजह से दिल का दौरा पड़ता है.
इन बातों का रखें ध्यान
- मधुमेह से पीड़ित लोगों को आम लोगों की तुलना में दिल के रोगों, दिल के दौरे और कॉर्डियोमायोपैथी की संभावना दो से चार गुना ज्यादा होती है.
- जितना ज्यादा किसी व्यक्ति का ब्लड शूगर होगा उतना ही हृदय रोग का खतरा ज्यादा होगा.
- मधुमेह से पीड़ित लोगों को थोड़ी ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए और अपना इनसुलिन और दिल की दौरे के खतरे की जांच करते रहना चाहिए.
- जीवनशैली में कुछ बदलाव करके और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का प्रयोग करके मधुमेह के मरीज खतरे को कम कर सकते हैं.
- शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने से आपका रक्तचाप कम होगा, ब्लड शूगर कम होगी और वजन घटेगा, तनाव भी कम होगा.
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