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तवा और कढ़ाई को उल्टा रखने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी, जानिए यहां

Vastu shastra: दादी-नानी का तवा और कढ़ाई को उल्टा रखने से मना करने का कारण धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ होता है.

तवा और कढ़ाई को उल्टा रखने से क्यों मना करती हैं दादी-नानी, जानिए यहां
खाना पकाने के बाद तवा और कढ़ाई को चूल्हे के ऊपर भी नहीं छोड़ना चाहिए.

Tawa kadhai kyun nahin rakhte ulta: हमारे देश में रसोई को एक पवित्र स्थान माना जाता है. देखा जाए तो वास्तु शास्त्र में किचन से जुड़े कुछ नियम भी हैं, कहते हैं जिन्हें फॉलो करने से घर की सुख-शांति बनी रहती है, इसलिए रसोई के बर्तन, जैसे- तवा, कढ़ाई आदि को ध्यान से रखा और साफ किया जाता है. अक्सर दादी-नानी तवा और कढ़ाई को उल्टा रखने से मना करती हैं. माना जाता है कि ऐसा करना अपशकुन होता है. हालांकि, इसके इसके पीछे कुछ पारंपरिक और वैज्ञानिक कारण भी हो सकते हैं, जिसके बारे में आज हम यहां आपको बताने जा रहे हैं, तो चलिए बिना देर किए जानते हैं.

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क्यों नहीं रखते हैं तवा और कढ़ाई उल्टा - Why do we not keep the tawa kadhai upside down

  1. इन दो बर्तनों के रख-रखाव को लेकर सावधानी बरतना इसलिए जरूरी है क्योंकि इनका संबंध राहु ग्रह से माना जाता है.
  2.  वास्तु शास्त्र के अनुसार, रोटी पकाने और सब्जी बनाने के बाद कढ़ाई को कभी भी गंदा नहीं छोड़ना चाहिए, इससे घर के मुखिया पर बुरा असर पड़ता है. हमेशा साफ करके रखना चाहिए.
  3. वहीं, रात में तवा और कढ़ाई को जूठे बरतनों के साथ कभी नहीं रखना चाहिए. इससे राहु का दोष लगता है. 
  4. खाना पकाने के बाद तवा और कढ़ाई को चूल्हे के ऊपर भी नहीं छोड़ना चाहिए. बल्कि काम खत्म होने के बाद चूल्हे की दाईं ओर रखें. वहीं, आप तवा और कढ़ाई को नुकीली चीजों से रगड़कर भी न साफ करें. 

तवा और कढ़ाई उल्टा न रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण -  Scientific reason behind not keeping the pan upside down

  • तवा और कढ़ाई को उल्टा रखने से इन पर धूल और गंदगी जमा हो सकती है, जो बाद में खाने में मिल सकती है. दरअसल, इन बर्तनों का उपयोग अक्सर गरम तेल और भोजन पकाने के लिए किया जाता है और यदि बर्तन गंदे होंगे, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • यह आदत पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और घर के वातावरण को बेहतर बनाए रखने के लिए यह एक सांस्कृतिक परंपरा है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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