
Parenting Tips: नवजात शिशु का ख्याल रखना बेहद मुश्किल काम होता है. खासकर सबसे बड़ी चुनौती होता है बच्चे का रात के समय जागना. ज्यादातर मां-बाप की शिकायत होती है कि उनका बच्चा दिन में आराम से सोता है लेकिन जैसे ही रात होती है, वह रोने लगता है. ऐसे में मां-बाप भी रातभर सो नहीं पाते हैं. अगर आप भी इस परेशानी से जूझ रहे हैं, तो आइए बच्चों के डॉक्टर से जानते हैं ऐसा क्यों होता है और शिशु की इस आदत को कैसे ठीक किया जा सकता है.
क्यों दिन में सोता और रात में जागता है बच्चा?
मामले को लेकर पीडियाट्रिशियन संदीप गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में बच्चों के डॉक्टर बताते हैं, यह आदत बच्चे को मां के गर्भ में ही लग जाती है. जब बच्चा गर्भ में होता है, तो दिन के समय मां काम करती है. इससे उसके शरीर में हलचल होती रहती है, जिससे बच्चे को झूले जैसा एहसास होता है और वह आराम से सोता है. वहीं रात के समय, जब मां विश्राम करती है और चलना-फिरना बंद हो जाता है, तब बच्चे की हलचल बढ़ जाती है. इसी कारण नवजात शिशु का स्लीप साइकिल उल्टा हो जाता है, जो जन्म के बाद भी कुछ महीनों तक जारी रहता है.
इस आदत को कैसे ठीक करें?इसके लिए डॉक्टर कुछ खास तरीके आजमाने की सलाह देते हैं.
नंबर 1- दिन में रोशनी और एक्टिविटी बढ़ाएंदिन के समय घर में रोशनी रखें ताकि बच्चे को यह संकेत मिले कि यह जागने का समय है. बच्चे के साथ खेलें, उसे बातें सुनाएं और हल्की एक्टिविटी में शामिल करें.
नंबर 2- हर 3 घंटे में दूध पिलाएंदिन में हर 2-3 घंटे के अंतराल पर बच्चे को उठाकर दूध पिलाएं. इससे बच्चा ज्यादा देर तक नहीं सोएगा और उसकी स्लीप साइकिल धीरे-धीरे बदलने लगेगी.
नंबर 3- खुली हवा में लेकर जाएंदिन के समय बच्चे को थोड़ी देर के लिए बालकनी या बगीचे में ले जाएं. सूरज की हल्की रोशनी और ताजी हवा बच्चे को दिन का एहसास दिलाएगी.
नंबर 4- रात में शांत और अंधेरा माहौल बनाएंरात में लाइट डिम रखें, तेज आवाज या टीवी जैसी चीजें बंद करें. धीरे-धीरे यह वातावरण बच्चे के मस्तिष्क को संकेत देगा कि यह सोने का समय है.
नंबर 5- रूटीन बनाए रखेंहर दिन एक तय समय पर बच्चे को सुलाने और उठाने की कोशिश करें. नियमित रूटीन से उसका शरीर एक प्राकृतिक समयचक्र में ढलने लगता है. इस तरह बच्चे का स्लीप साइकिल ठीक हो जाता है.
डॉक्टर बताते हैं, शिशु का दिन-रात उलटा होना पूरी तरह सामान्य बात है और यह अधिकतर बच्चों में देखा जाता है. इस कंडीशन में घबराने की बजाय संयम से काम लें. कुछ महीनों के अंदर बच्चा खुद ही सही समय पर सोना और जागना सीख जाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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