राजस्थान के अजमेर जिले में 'मार्बल सिटी' के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाले किशनगढ़ में कैंसर से पीड़ित एक शिक्षिका कोरोना के खिलाफ जंग में पूरे साहस के साथ जुटी हैं. उन्होंने अब तक 40,000 से ज्यादा मास्क बनाकर नि:शुल्क बांटे हैं.
सरकारी स्कूल की शिक्षिका शकुन्तलता पिछले 13 साल से कैंसर से लड़ रही है. कोरोना संक्रमण वायरस महामारी के बीच उन्हें लोगों की सेवा करने का नया जरिया मिल गया. उन्होंने फैशन डिजाइनिंग के अपने हुनर को इसका जरिया बनाया. शकुंतला ने जरूरतमन्दों के लिए मास्क बनाना शुरू किया और इनका निशुल्क वितरण कर रही है.
जोगियों के नाडा स्कूल में कार्यरत शिक्षिका शकुन्तलता ने बताया कि उसे इस पुनीत कार्य की प्रेरणा स्कूल से मिली. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की शुरुआत में बाज़ार में मास्क की कालाबाजारी हो रही थी. कई लोगों को मास्क खरीदने के लिए 50 रु खर्च करने पड़ रहे थे. ऐसे में गरीब और जरूरतमंद लोग इसे चाहकर भी नहीं खरीद सकते थे. इसी तबके को कोरोना से बचाने के लिए उन्होंने अपने घर पर ही मास्क बनाना शुरू कर दिया.
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों ने हालांकि उन्हें ज्यादा काम नहीं करने की हिदायत दी हुई है लेकिन उन्हें इस संकट में मानव सेवा करना ज्यादा महत्वपूर्ण लगा. वे अब तक करीब 40 हजार से ज्यादा मास्क बना चुकी हैं. इनमें से ज़्यादातर गरीब और वंचित लोगों को निःशुल्क बांटे गए हैं. इसके अलावा कोरोना ड्यूटी में लगे सरकारी विभाग के प्रतिनिधियों को भी फेस मास्क उपलब्ध कराये गए हैं.
कोरोना योद्धा शकुन्तलता के इस पुनीत कार्य में परिवार के लोग भी उनकी मदद कर रहे है. शकुंतला के इस जज्बे की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है. कई सामाजिक संगठनों ने इस कार्य के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र भेजकर सम्मानित किया है.
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