लखनऊ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) के एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि सिगरेट और बीड़ी के उपयोग के बाद उसके बचे हिस्से (बट) में रासायनिक स्तर सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से कम होता है तथा वह "मनुष्यों तथा पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं है". सिगरेट और बीड़ी के ऐसे हिस्से पृथ्वी पर सबसे आम प्रकार के कूड़े हैं. एक अनुमान के तहत 4.5 खरब ऐसे टुकड़े हर साल दुनिया भर में फेंक दिए जाते हैं. सिगरेट आदि के ऐसे हिस्से डस्टबिन, सड़क के किनारे, समुद्र तटों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर फेंक दिया जाता है. इससे जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा पैदा होता है.
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कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि सिगरेट के ऐसे हिस्से कीड़ों, मछलियों आदि के लिए हानिकारक होते हैं. पिछले साल अप्रैल में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे ऐसे कचरे के संबंध में अध्ययन करवाएं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के बीच पिछले साल अक्टूबर में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह सिगरेट और बीड़ी के बेकार हिस्सों के रासायनिक व अन्य विश्लेषण के लिए किया गया था.
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