भारत में बाल विवाह (Child Marriage) पर पूरी तरह से प्रतिबंध है और यह एक दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद आज भी देश के कइ हिस्सों में बाल विवाह को अंजाम दिया जाता है. खासकर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बाल विवाह के कई मामले सामने आते हैं. हालांकि समाज का हिस्सा होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं और जब भी हमें ऐसे किसी मामले के बारे में पता चले तो हमें उसका विरोध करना चाहिए. साथ ही पुलिस को इस बारे में बिना देरी सूचित करना चाहिए. ऐसा ही कुछ 13 साल की एक लड़की ने किया और समाज के सामने एक मिसाल पेश की.
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हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में एक 13 साल की लड़की ने अपने परिवार में होने जा रहे बाल विवाह को रोक दिया. लड़की खरखौदा इलाके के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कक्षा 8 में पढ़ती है. उसका नाम वंशिका गौतम है.
वंशिका ने एक साल पहले अपनी 16 साल की चचेरी बहन का बाल विवाह रुकवा दिया. उसके मुताबिक, "लगभग एक साल पहले मेरी चाची मेरी 16 साल की चचेरी बहन की शादी करने पर आमादा थीं. मैंने उन्हें और पूरे परिवार को यह समझाया कि वो लड़की की शादी 18 साल से पहले नहीं कर सकतीं. मेरे समझाने के बाद वो मान गईं. यही नहीं वह उसे आगे पढ़ाने के लिए भी मान गए."
अपने इस साहसिक और सराहनीय कदम के लिए वंशिका को यूपी सरकार 5 मार्च को सम्मानित करेगी.
वंश्किा के स्कूल की वॉडर्न ने कहा, "यह हमारे स्कूल के लिए गर्व की बात है कि यहां की छात्रा को राज्य स्तर पर सम्मान मिलने जा रहा है."
आपको बता दें कि भारत में लड़कियों की शादी करने की कानूनी उम्र 18 साल है, जबकि लड़कों के लिए उम्र सीमा 21 साल रखी गई है.
बहरहाल, हम तो यही कहेंगे कि शिक्षा की वजह से ही वंशिका को यह पता चल सका कि बाल विवाह एक कुप्रथा है, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने के लिए बेहद खतरनाक है. साफ है कि मजबूत शिक्षा व्यवस्था के जरिए ही हम लोगों को इस बारे में शिक्षित कर सकते हैं.
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