रोजगार संकट के बीच एक राहत देने वाली खबर आई है. एक सर्वे में दावा किया गया है कि आने वाली तिमाही में रोजगार के अवसरों में इजाफा होगा और उम्मीद ये है कि कोरोना काल के पहले जैसी स्थिति में हालात पहुंच जाएं. ये बात मैनपावर ग्रुप के NET Employment Outlook (NEO) के सर्वे में सामने आई है.
ये ग्रुप इस बात का पता लगाता है कि कंपनियां नौकरी बढ़ाने जा रही हैं या लोगों को नौकरी से निकालने का प्लान है. सर्वे में देशभर की 2375 कंपनियों को शामिल किया गया है और डेटा के आधार पर यह बताया गया है कि आने वाली तिमाही (जून-अप्रैल) में ज्यादातर कंपनियां रिक्रूटमेंट पर विचार कर रही हैं. जॉब परसेंटेज पिछली तिमाही यानी जनवरी-मार्च से 3 फीसदी बढ़कर 9 तक पहुंच गया है.
पिछले साल इसी वक्त कोरोना ने देश में दस्तक दी थी. पिछले साल से तुलना की जाए तो अभी रिक्रूटमेंट की योजना में दो फीसदी की गिरावट है. लेकिन सर्वे में शामिल कंपनियों में से 56 फीसदी का मानना है कि आने वाले जून के अंत तक वो नौकरी देने के मामले में कोविड-19 काल के पहली जैसी स्थिति में पहुंच जाएंगे. जबकि 27 फीसदी कंपनियां जून में ही इस स्थिति में पहुंचने की उम्मीद कर रही हैं.
सर्वे में शामिल कंपनियों में 12 फीसदी को अगले तीन महीनों में अधिक लोगों को नौकरी दिए जाने की उम्मीद है, जबकि 2 फीसदी कंपनियां छंटनी पर विचार कर रही हैं. हालांकि, एक बड़ा हिस्सा यानी 53 फीसदी कंपनी फिलहाल किसी बदलाव के मूड में नहीं हैं.
कोविड-19 काल ने वर्क फ्रॉम होम को न्यू नॉर्मल बना दिया है. ऐसे में डिजिटली काम करना जॉब मार्केट के लिए एक अहम चीज माना जा रहा है. ये माना जा रहा है कि जो लोग डिजिटल माध्यमों के जरिए आसानी से काम करने में सक्षम होंगे उनके पास नौकरी पाने के अवसर दूसरों की तुलना में ज्यादा होंगे. अगले 6 महीने से एक साल के भीतर करीब 92 फीसदी कंपनियां अपने कर्मचारियों से ऑफिस के साथ-साथ वर्क फ्रॉम होम कराने का प्लान कर रही हैं.
मैनपावर ग्रुप इंडिया के ग्रुप एमडी संदीप गुलाटी ने बताया है कि नए बजट से जॉब क्रिएशन की उम्मीद बढ़ रही है, खासकर पब्लिश इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर और BFSI सेक्टर में जॉब निकलने के चांस हैं. गुलाटी ने कहा कि सरकार ने रोजगार के क्षेत्र के लिए जो किया है उसका असर इस साल की तीसरी और चौथी तिमाही में नजर आएगा.
सर्वे में बताया गया है कि पश्चिमी भारत में नौकरियों के सबसे ज्यादा अवसर मिलने की संभावना है, क्योंकि वहां जॉब क्रिएशन के 10 फीसदी से अधिक चांस हैं. जबकि उत्तर भारत में 8 फीसदी, दक्षिण भारत में 7 फीसदी और पूर्वी भारत में 4 फीसदी जॉब क्रिएशन की संभावना है.
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