वजन के साथ दिल की उम्र भी घटाता है इंटरमिटेंट फास्टिंग, 8 घंटे भूखे रहने से 91% बढ़ जाता है मौत का खतरा : स्टडी

अमेरिका के शिकागो में जारी एक रिसर्च रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई कि दिन में 8 घंटे तक भूखे रहने से लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह से मौत का खतरा 91% बढ़ सकता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने इस रिपोर्ट की एक समरी (Summery) भी पेश की है.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

आजकल वेट लॉस (वजन घटाने) और हेल्दी रहने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)को एक बेहतरीन तरीका बताया जाता है. दावा किया जाता है कि इससे कम समय में ज्यादा वजन घटाने में मदद मिलती है. ऐसे कई सेलिब्रिटीज और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर हैं, जो इंटरमिटेंट फास्टिंग के जरिए जल्दी से वेट लॉस का दावा भी करते हैं. अगर आप भी वजन कम करने के लिए वर्कआउट के साथ-साथ इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो कर रहे हैं, तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है. एक नई स्टडी के मुताबिक, इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट का सहारा लेने वाले लोगों में हार्ट रेट का खतरा 91%  बढ़ सकता है. 

अमेरिका के शिकागो में जारी एक रिसर्च रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई कि दिन में 8 घंटे तक भूखे रहने से लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह से मौत का खतरा 91% बढ़ सकता है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने इस रिपोर्ट की एक समरी (Summery) भी पेश की है.

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इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग एक तरह का डाइट पैटर्न है, इसमें व्यक्ति 8-16 घंटें की फास्टिंग (भूखा) करता है. इस तरह वह 8 या 16 घंटे के बाद ही खाना खाता है. इस तरह का डाइट प्लान फॉलो करने के पीछे तर्क यह दिया जाता है कि जब 2 मील के बीच गैप अधिक हो, तो इससे शरीर कैलोरी और फैट को तेजी से बर्न करता है. इससे वेट लॉस करने में मदद मिलती है. ऐसे में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) की स्टडी ने इंटरमिटेंट फास्टिंग के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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विक्टर झोंग की अगुवाई में पेश हुई रिसर्च स्टडी
'वॉशिंगटन पोस्ट' के मुताबिक, चीन के शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विक्टर झोंग की अगुवाई में यह रिसर्च पेश की गई. इसमें अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ( US- CDC) के हेल्थ सर्वे में शामिल लगभग 20,000 लोगों के डेटा का एनालिसिस किया गया. सर्वे में औसतन 48 उम्र के आधे पुरुष और आधी महिलाएं शामिल थीं. इस स्टडी में साल 2003-2009 के बीच हुई मौतों के आंकड़ों का भी एनालिसिस किया गया. 

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सर्वे में पाया गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वाले लोगों में हाई BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स और फूड इनसेक्योरिटी वाले युवा पुरुष होने की अधिक संभावना है. उनमें हाई ब्ल्डप्रेशर, हाईपरटेंशन, शुगर और दिल की बीमारियों का प्रसार भी ज्यादा था. झोंग ने कहा, "हमने एनालिसिस में इन सभी वैरिएबल्स को कंट्रोल किया, लेकिन 8 घंटे तक भूखे रहने और दिल से जुड़ी बीमारियों की वजह से डेथ रेट के बीच पॉजिटिव रिलेशन बना रहा."

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स्टडी को लेकर उठे कई सवाल
हालांकि, स्टडी में ये पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि इसमें जिन लोगों के डेटा का इस्तेमाल किया गया, उन्होंने कितने समय और कितने तरीकों से इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो किया. 

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में मेटाबोलिज्म के प्रोफेसर कीथ फ्रेन ने अपने एक बयान में कहा, 'इंटरमिटेंट फास्टिंग' कैलोरी कम करने का एक लोकप्रिय तरीका है. हालांकि, यह स्टडी बताती है कि हमें 'इंटरमिटेंट फास्टिंग' के लॉन्ग टर्म प्रभावों पर डिटेल स्टडी की जरूरत है. 


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