दिल्ली सरकार बनाम केंद्र : अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला संविधान पीठ को भेजा गया

अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मामले को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भेज दिया गया. अब अफसरों की सेवाओं पर पांच जजों का संविधान पीठ सुनवाई करेगा.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
SC ने अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला संवैधानिक पीठ को भेजा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मामले को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को भेज दिया गया. अब अफसरों की सेवाओं पर पांच जजों का संविधान पीठ सुनवाई करेगा. कोर्ट ने केंद्र की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग स्वीकारी. शीर्ष अदालत की तीन जजों- CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मामले को संविधान पीठ भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पहले की संविधान पीठ ने सेवाओं के मुद्दे पर विचार नहीं किया था. बता दें कि दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच यह दूसरी बार संविधान पीठ में सुनवाई होगी.

अब सुप्रीम कोर्ट बुधवार यानी 11 मई को इसपर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा और कोई भी पक्ष सुनवाई टालने के आवेदन न दे.

28 अप्रैल को अदालत ने अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग यानी सेवा मामला संविधान पीठ को भेजने पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इशारा किया था कि वो मामले को पांच जजों के संविधान पीठ को भेज सकते हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें : खान मार्केट के पास किराए पर रह रहे अफसरों के आवास खाली करने के मामले में केंद्र को SC से राहत

Advertisement

इसे लेकर केंद्र की दलील है कि 2018 में संविधान पीठ ने सेवा मामले को छुआ नहीं था, इसलिए मामले को पांच जजों के पीठ को भेजा जाए. दिल्ली सरकार ने इसका विरोध किया था. दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि केंद्र के सुझाव के अनुसार मामले को बड़ी पीठ को भेजने की जरूरत नहीं है. पिछली दो-तीन सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार इस मामले को संविधान पीठ को भेजने की दलील दे रही है. बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे खारिज कर दिया गया था.

Advertisement

अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि आप लोग संविधान पीठ में इस मामले को भेजने की बात भी कर चुके हैं, तो यहां इतने लोगों की इतनी लंबी लंबी दलीलों का क्या मतलब रह जाता है क्योंकि संविधान पीठ के सामने फिर यही सारी बातें आनी हैं.

Advertisement

Video : सवाल इंडिया का: क्या खत्म किया जाना चाहिए देशद्रोह कानून?

Featured Video Of The Day
IND vs PAK Champions Trophy: Virat Kohli की शानदार पारी पर Babul Supriyo ने कही ये बात
Topics mentioned in this article