Omega-3 Fatty Acid: हमारे शरीर के लिए हर तरह के विटामिन और मिनरल्स बेहद जरूरी होते हैं. किसी एक की भी कमी हमारे शरीर को अंदर से कमजोर और बीमार बना सकती है. आज हम बात करेंगे ओमेगा-3 फैटी एसिड की, जो कि हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है. एक अध्ययन में बताया गया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारी सेहत और हर उम्र में बेहद जरूरी होता है. प्रेगनेंसी के समय में ओमेगा-3 का सेवन बेहद फायदेमंद होता है ये समय से पहले डिलीवरी के खतरे को कम करने में मदद करता है. वहीं, बच्चों में आंखों और दिमाग के सही विकास के लिए भी ओमेगा-3 फैटी एसिड एक अहम भूमिका निभाता है.
वहीं व्यस्क लोगों में ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट को हेल्दी रखने और शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देता है. इसके साथ ही ये डिप्रेशन को कम करने, याद्दाश्त को कमजोर होने से बचाने और अल्जाइमर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने में भी मददगार माना गया है. यह हैरान कर देने वाली जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन और हॉलैंड एंड बैरेट से जुड़े शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए एक नए वैश्विक अध्ययन में सामने आई है. ये अध्ययन के नतीजे जर्नल न्यूट्रिशन रिसर्च रिव्यु में प्रकाशित हुए हैं.
अध्ययन के मुताबिक दुनिया की 76 फीसदी आबादी को स्वस्थ रहने के लिए जरूरी ओमेगा-3 फैटी एसिड, खासकर ईपीए और डीएचए, की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल रही। विशेषज्ञ इसे वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक बड़ी और अनदेखी खाई मान रहे हैं।
सेहत के लिए कितनी मात्रा जरूरी?
हॉलैंड एंड बैरेट की साइंस डायरेक्टर डॉक्टर एबी कैवुड बताती हैं कि सिर्फ खाने से शरीर को पूरी मात्रा में ईपीए और डीएचए मिल पाना मुश्किल होता है. खासकर वो महिलाएं जो प्रेगनेंट होती हैं और मछली का सेवन कम करती हैं या नहीं करती. ऐसे केस में लोगों सप्लीमेंट लेने की जरूरत पड़ सकती है.
अध्ययन के मुताबिक, एक वयस्क व्यक्ति को रोज करीब 250 मिलीग्राम ईपीए और डीएचए की जरूरत होती है. वहीं प्रेगनेंट महिलाओं को इसके अलावा 100 से 200 मिलीग्राम डीएचए और लेना चाहिए. यह जरूरत सैल्मन या मैकेरल जैसी मछलियों से या फिर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट के जरिए पूरी की जा सकती है.
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अलग-अलग देशों में अलग नियम, लोगों में भ्रम
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन के प्रोफेसर फिलिप कैल्डर का कहना है कि लोगों को ओमेगा-3 का फायदा तभी मिलेगा, जब उन्हें यह साफ तौर पर पता हो कि कितनी मात्रा लेनी है. लेकिन अलग-अलग देशों में इसके अलग नियम होने की वजह से लोग अक्सर उलझन में पड़ जाते हैं. यही वजह है कि इस अध्ययन को भारत, एशिया जैसी देशों के लिए भी साफ और वैज्ञानिक गाइडलाइन बनाने की जरूरत है.
क्यों मुश्किल हो रहा है ओमेगा-3 लेना?
अध्ययन में यह भी बताया गया कि कई जगहों पर लोग पर्याप्त मात्रा में ओमेगा-3 नहीं ले पा रहे हैं. इसकी वजह कम मछली खाना, पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं और सप्लीमेंट को लेकर सही जानकारी की कमी है.
सेहत के लिए एक गंभीर चेतावनी
एक्सपर्ट मानते हैं कि ओमेगा-3 की कमी धीरे-धीरे एक “खामोश वैश्विक स्वास्थ्य समस्या” बनती जा रही है. इससे बचने के लिए सही खानपान, लोगों तक सही जानकारी पहुंचाना और स्पष्ट नीतियां बनाना बहुत जरूरी है.
कुल मिलाकर इस अध्ययन से पता चलता है कि ये अच्छी सेहत को हमेशा से ही पोषण देती है और ये हमारे शरीर के लिए बेहद अहम भी है.
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