क्या आप भी हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल होने को एक ही समझते हैं? जानें क्या है इन तीनों में अंतर

आमतौर पर हम हार्ट फेल होने, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही बात मान लेते हैं. ये तीनों दिल से संबंधित जरूर है, लेकिन तीनों का मतलब एक कतई नहीं है. यहां हम जानेंगे कि हार्ट अटैक, हार्ट फेल और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर होता है.

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Heart Attack, Cardiac Arrest, Heart Failure—What's the Difference? हम जानेंगे कि हार्ट अटैक, हार्ट फेल और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर होता है.

अक्सर हम सुनते हैं कि फलां को हार्ट अटैक आया है, या फिर कार्डिएक अरेस्ट के कारण किसी की मृत्यु हो गई है. आमतौर पर हम हार्ट फेल होने, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही बात मान लेते हैं. ये तीनों दिल से संबंधित जरूर है, लेकिन तीनों का मतलब एक कतई नहीं है. इनके कारण और इलाज में भी अंतर होता है. यहां हम जानने की कोशिश करेंगे कि हार्ट अटैक, हार्ट फेल और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर होता है. 

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जानें हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल होने में क्या है अंतर । Heart Attack and Sudden Cardiac Arrest Differences

हार्ट अटैक (Heart Attack)

सामान्य भाषा में इसे दिल का दौरा भी कहा जाता है. इस दौरान धमनियों में प्लाक के कारण  हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है. यही कारण है कि रुकावट को दूर करने और रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए दिल के दौरे के पीड़ितों को कई बार एंजियोप्लास्टी या सर्जरी की आवश्यकता होती है. इसके लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और दिल के दौरे के कई दिनों बाद भी बने रहते हैं. दिल का दौरा पड़ने पर भी  दिल धड़कता रहता है, लेकिन रुकावट के कारण उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है.

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हार्ट अटैक के दौरान मरीज को सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ होती है. ये दर्द पीठ, जबड़े या बाहों तक फैल सकता है.

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कार्डिएक अरेस्ट (Cardiopulmonary Arrest/Sudden cardiac arrest) 

कार्डिएक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है और उसे फिर से चालू करने की जरूरत होती है. जरूरी नहीं है कि हर हार्ट अटैक में कार्डियक अरेस्ट जैसी स्थिति पैदा हो. कार्डिएक अरेस्ट एक बेहद गंभीर स्थिति होती है. कई बार कार्डिएक अरेस्ट ऐसे लोगों को भी हो जाता है जिन्हें पहले दिल से संबंधित कोई बीमारी नहीं रही हो. तुरंत इलाज न मिलने की स्थिति में मरीज की मौत हो सकती है. क्योंकि दिल की धड़कन रुकने से मस्तिष्क, फेफड़े और दूसरे अंगों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और इंसान की तुरंत मौत हो जाती है.

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कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में मरीज को सीपीआर(मुंह से सांस देना) या  डिफिब्रिलेटर (एईडी) की मदद से सीने पर झटका देना कारगर हो सकता है. 

 कई बार कार्डिएक अरेस्ट ऐसे लोगों को भी हो जाता है जिन्हें पहले दिल से संबंधित कोई बीमारी नहीं रही हो.

हार्ट फेल (Heart failure)

दिल जब उतना ब्लड पंप नहीं कर पाता जितनी शरीर को आवश्यकता होता है, तो इस स्थिति को हार्ट फेल कहा जाता है. आमतौर पर ये समस्या किसी पुरानी बीमारी से संबंधित होती है, लेकिन हार्ट फेल जैसी स्थिति कभी भी बन सकती है. हार्ट फेल होना किसी अन्य बीमारी का परिणाम भी हो सकता है, जैसे -

- हृदय रोग के विभिन्न रूप,

- फेफड़ों में रक्त का थक्का,

- थायरॉयड ग्रंथि की समस्याएं,

- हृदय वाल्व विकार, 

- किडनी फेल होना या अनकंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर.

आमतौर पर हार्ट फेल इस प्रकार की किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित मरीज को होने की संभावना ज्यादा रहती है. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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