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This Article is From Sep 20, 2022

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि मामला : प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्र हुए घायल, VC बोलीं- 100 साल से नहीं बढ़ा शुल्क

Allahabad University Latest News: इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे हैं. इस पूरे मामले पर NDTV ने विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर संगीता श्रीवास्तव से बात की है.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने कहा कि फीस वृद्धि वापस नहीं होगी

नई दिल्ली:

Allahabad University Latest News: इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (Allahabad Central University) में फीस वृद्धि (Fee Hike) वापस लेने की मांग को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे हैं. छात्र पिछले 11 दिन से फीस वृद्धि को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.आज भी वाइस चांसलर ऑफिस के सामने प्रदर्शन कर रहे कई छात्रों ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर आत्मदाह की कोशिश की, पुलिस से उनकी झड़प चल रही है.

पुलिस ने किया वाटर कैनन का इस्तेमाल
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस ने वाटर कैनन से पानी छोड़कर तितर-बितर करने की कोशिश की. छत पर चढ़े छात्र को पुलिस पकड़ कर नीचे लाई है. छात्रों व पुलिस के बीच में झड़प चल रही है. छात्रों ने फायर ब्रिगेड के पानी के पाइप को अपने कब्जे में कर लिया. पुलिस से झड़प में कुछ छात्रों को चोटें भी आई हैं.

सोमवार को भी प्रदर्शन के दौरान एक छात्र ने आत्मदाह का प्रयास भी किया था, लेकिन समय रहते उसे रोक लिया गया. वहां बड़ी तादाद में मौजूद छात्रों को पुलिस ने हटा दिया है. उनके खिलाफ 3 FIR भी दर्ज कराई गई है.  छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से 400 प्रतिशत फीस में बढ़ोतरी की गई है.

एनडीटीवी से वाइस चांसलर की बातचीत

इस पूरे मामले पर NDTV ने विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर संगीता श्रीवास्तव से बात की है. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (Allahabad University) ने सौ साल से फीस नहीं बढ़ी है, इसलिए फीस को अभी बढ़ाना बहुत आवश्यक है. वाइस चांसलर ने कहा कि मेरा मां भी इस विश्वविद्यालय से पढ़ चुकी हैं, उन्होंने भी 12 रुपये की फीस थी, मैंने भी इसी विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है, मैंने भी 12 रुपये की फीस दी है. मेरे बच्चे भी यहां से पढ़ते तो वे भी 12रुपये की फीस देते. इस मंहगाई में हर चीज महंगी हो गई है. ऐसे में विश्वविद्यालय इतने कम फीस में अपने आप को संभाल नहीं पा रहा है. सरकार ने भी हमसे इंटर्नल रिसोर्स जनरेट करने को कहा है, जिसमें से कुछ खर्चे हमें खुद वहन करें और कुछ सरकार ने देने को कहा है. इसलिए हमारे पास यूनिवर्सिटी की फीस बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था.

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यूनिवर्सिटी पर करोड़ का बिजली बिल बकाया

यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पास 20 हॉस्टल है और 35 हजार छात्र यहां पढ़ाई करते हैं. हम सभी को एक आदत सी हो गई है कि हम सारी सुविधाओं का उपभोग तो करना चाहते हैं, लेकिन उसका शुल्क नहीं देना चाहते. पिछले साल भी छात्रों ने धरना दिया था. कोविड काल में छात्रों ने बिजली का खूब इस्तेमाल किया था, तब मैंने इनसे बिजली का बिल जमा करने को कहा था, लेकिन ये छात्र बिजली का बिल भी भरने को तैयार नहीं थे. यूनिवर्सिटी पर बिजली का साढ़े सात करोड़ बकाया है, लेकिन वह दे नहीं पा रही हैं. ऐसे में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की बिजली कभी भी कट सकती है. 

12 रुपये वार्षिक फीस में नहीं चलेगी जेएनयू

जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी ने फीस में वृद्धि नहीं की है, फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने ऐसा क्यों किया के सवाल पर संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी, बीएचयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी. बीएचयू कई साल पहले फीस में वृद्धि कर चुका है, वहीं अलीगढ़ में भी फीस बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने अब तक फीस में कोई वृद्धि नहीं की थी. इसलिए यहां की फीस बढ़ाई गई है. जहां तक जेएनयू की बात है, तो जेएनयू को भी फीस बढ़ानी पड़ेगी, क्योंकि 12 रुपये वार्षिक फीस में वो भी नहीं चलेगी.  

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मायावती ने ट्वीट कर साधा निशाना

गौरतलब है कि बीएसपी की नेता मायावती ने ट्वीट कर कहा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही  प्रवृति हो गई है. साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक. इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निन्दनीय. यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब माँगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार 
करे, बीएसपी की मांग.

उन्होंने आगे ट्वीट किया कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उन पर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है.

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