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General knowledge : कैसे फटता है बादल? अचानक कैसे आता है पानी का सैलाब

Cloudburst in Uttarakhand : बादल फटने से होने वाली बारिश 100 किलोमीटर/घंटा होती है. इसको मूसलाधार बारिश भी कहते हैं. यह प्राकृतिक अपदा अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है.

General knowledge : कैसे फटता है बादल? अचानक कैसे आता है पानी का सैलाब
बादल फटना या क्लाउड बर्स्ट की घटना मैदानी क्षेत्रों में नहीं बल्कि पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है.

Uttarakhand Dharali cloudburst : उत्तराखंड के धराली गांव में आज बादल फटने के कारण कई घर बुरी तरह तबाह हो गए. जिसमें अभी तक 4 लोगों के मौत और 50 लोगों के लापता होने की सूचना है. दरअसल, गंगोत्री धाम और मुखवा के पास स्थित धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से एक नाला उफान पर आ गया. जिससे पानी बहुत तेजी से पहाड़ों के निचले इलाकों की ओर आ गया, जिससे संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है. आपको बता दें कि बादल फटने की घटना उत्तराखंड में पहली नहीं है मानसून के समय ऐसी प्राकृतिक आपदा का सामने पहाड़ा इलाकों में रहने वाले लोगों को करनी पड़ती है. ऐसे में आपके दिमाग में आता होगा न आखिर बादल फटते कैसे हैं, इसके पीछे का साइंस क्या है. आज के इस नॉलेज सेक्शन में हम इसी बारे में आपको बताने जा रहे हैं...

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बादल क्यों फटते हैं

  • बादल फटना या क्लाउड बर्स्ट की घटना मैदानी क्षेत्रों में नहीं बल्कि पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होता है, जैसे- हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में. 
  • जब एक घंटे में 10 centimeter या उससे ज्यादा बारिश होती है तो उसे बादल फटना कहते हैं
  • यह भयावह घटना तब होती है, जब बादलों को नमी पहुंचनी बंद हो जाती है या बहुत ठंडी हवा का झोंका इसमें प्रवेश कर जाता है तब सफेद बादल काले बादल में तबदील हो जाते हैं और तेज गरज के साथ बरस पड़ते हैं. 
  • आपको बता दें कि सिर्फ ठंडी हवाएं ही नहीं बल्कि कहीं बादल के रास्ते में गरम हवाएं टकरा जाएं तब भी बादल फटने की आशंका बढ़ जाती है. 
  • बादल फटने से होने वाली बारिश 100 किलोमीटर/घंटा होती है. इसको मूसलाधार बारिश भी कहते हैं. यह प्राकृतिक अपदा अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है.

बादल फटने की घटना से कैसे बचें

इस प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए आपको कुछ बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है-

  •  मौसम विभाग की चेतावनी और एडवाइजरी पर को फॉलो करें.
  •  पहाड़ी इलाकों में जल निकासी व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. 
  • इसके अलावा  लोगों को इस बात से जागरूर कराना चाहिए वे नदी या ढलान वाली जगहों पर घर न बनाएं. 


 

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