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तुम आईं, जैसे छीमियों में धीरे-धीरे... दिल को छू जाएगी केदारनाथ सिंह की ये प्यारी कविता

Kedarnath Singh ki Kavitayen: केदारनाथ सिंह की एक कविता काफी पढ़ी जा रही है, अगर आपको भी कविताएं पढ़ने का शौक है तो पढ़िए केदारनाथ की ये शानदार कविता 'तुम आई'.

तुम आईं, जैसे छीमियों में धीरे-धीरे... दिल को छू जाएगी केदारनाथ सिंह की ये प्यारी कविता
नई दिल्ली:

Kedarnath Singh ki Kavitayen: कविता के सशक्त कवि केदारनाथ सिंह की रचनाएं खूब पसंद की जाती है. केदारनाथ सिंह यूपी के बलिया के थे. उन्होंने अपनी कविता यात्रा का आरंभ एक गीतकार के रूप में किया. वह अज्ञेय के संपादन में प्रकाशित ‘तीसरा सप्तक' (1959) के सात कवियों में से एक थे.सप्तक में शामिल गीतों और कविताओं ने उन्हें दुनिया से परिचित कराया. उनकी पहली कविता संग्रह ‘अभी, बिल्कुल अभी' प्रकाशित हुई थी. जिसे लोगों ने खूब पसंद किया इसके बाद उन्होंने कई कविताएं लिखी, फिलहाल उनकी एक कविता काफी पढ़ी जा रही है, अगर आपको भी कविताएं पढ़ने का शौक है तो पढ़िए केदारनाथ की ये शानदार कविता 'तुम आई'.

तुम आईं
जैसे छीमियों में धीरे-धीरे

आता है रस
जैसे चलते-चलते एड़ी में

काँटा जाए धँस
तुम दिखी

जैसे कोई बच्चा
सुन रहा हो कहानी

तुम हँसी
जैसे तट पर बजता हो पानी

तुम हिलीं
जैसे हिलती है पत्ती

जैसे लालटेन के शीशे में
काँपती हो बत्ती!

तुमने छुआ
जैसे धूप में धीरे-धीरे

उड़ता है भुआ
और अंत में

जैसे हवा पकाती है गेहूँ के खेतों को
तुमने मुझे पकाया

और इस तरह
जैसे दाने अलगाए जाते हैं भूसे से

तुमने मुझे ख़ुद से अलगाया।

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