हिन्दी दिवस (14 सितंबर) अब सिर्फ़ तीन दिन दूर है, और हमारे ज़्यादातर यूज़र, यानी उत्तर भारत के अधिकतर लोग हिन्दी ही लिखते-पढ़ते और बोलते हैं, इसलिए NDTV अपने हिन्दीभाषी यूज़रों के लिए ज्ञानवर्द्धक क्विज़ की सीरीज़ में पांचवीं क़िस्त लेकर आया है, जिसका पहला भाग (अपना हिन्दी ज्ञान जांचें - भाग 1), दूसरा भाग (अपना हिन्दी ज्ञान जांचें - भाग 2), तीसरा भाग (अपना हिन्दी ज्ञान जांचें - भाग 3), चौथा भाग (अपना हिन्दी ज्ञान जांचें - भाग 4) तथा छठा भाग (अपना हिन्दी ज्ञान जांचें - भाग 6) भी इसी साइट पर मौजूद हैं. हमारी इस क्विज़ की सहायता से आप न सिर्फ़ अपना भाषा ज्ञान जांच सकेंगे, बल्कि आपका शब्दकोश भी इससे निश्चित रूप से विस्तृत होगा. NDTV की प्रत्येक हिन्दी क्विज़ में सात हिन्दी शब्द दो-दो बार लिखे गए हैं, और उनमें से एक वर्तनी गलत है, और एक सही, और आपको सही वर्तनी को चुनना है.
तो खेलकर देखें NDTV.in की क्विज़ - 'अपना भाषा ज्ञान जांचें : भाग 5'
दरअसल, हिन्दुस्तान में सैकड़ों भाषाएं लिखी-पढ़ी और बोली जाती हैं, और भारत के काफ़ी बड़े उत्तरी हिस्से में तो हिन्दी और उससे पैदा हुई बोलियां ही सबसे ज़्यादा प्रचलित हैं. करोड़ों-करोड़ भारतीय नागरिकों की मातृभाषा हिन्दी है, और देश के ज़्यादातर स्कूलों में हिन्दी अनिवार्य रूप से पढ़ाई भी जाती है.
--- ये भी खेलें ---
* हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 1
* हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 2
* हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 3
* हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 4
* हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 6
लेकिन अगर पिछले दो-तीन दशक पर नज़र डालें, तो महसूस होता है कि हमारी नई पीढ़ी हिन्दी भाषा या व्याकरण या शब्दकोश पर बिल्कुल मेहनत नहीं करती. दरअसल, उनके दिमाग में बचपन से बिठा दिया जाता है कि चूंकि वे हिन्दी बोलते-समझते हैं, इसलिए हिन्दी जानते हैं, और इसी भ्रम के फलस्वरूप वे बच्चे पूरा परिश्रम गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे विषयों में करते हैं, और अंततः हिन्दी इग्नोर होकर रह जाती है.
इसका परिणाम होता है कि व्याकरण, वाक्य-विन्यास, और शब्दकोश तो दूर, आज की पीढ़ी के हमारे बच्चे हिन्दी शब्दों की वर्तनी, यानी Spellings तक में गलतियां कर बैठते हैं, और इस बात का दुःख औऱ भी ज़्यादा होता है कि उन्हें गलतियों का एहसास भी नहीं हो पाता. वैसे, एक दुःखद पहलू यह भी है कि आज के बच्चों के साथ-साथ वही गलतियां उनके माता-पिता, अभिभावक और कुछ हद तक अध्यापक भी करने लगे हैं. हिन्दी के शब्दों की गलत वर्तनी तो सरकारी विभागों तक में बेहद आम हैं.
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