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CUET के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी का एडमिशन प्रोसेस हुआ आसान, कुलपति ने गिनाए फायदे

Delhi University Admission Process: डीयू के कुलपति ने कहा कि नए सिस्टम ने सीट आवंटन को ज्यादा संतुलित और नियंत्रित बनाया है. साथ ही उन्होंने CUET लागू होने के कई और फायदे भी गिनाए.

CUET के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी का एडमिशन प्रोसेस हुआ आसान, कुलपति ने गिनाए फायदे
डीयू एडमिशन प्रोसेस

दिल्ली यूनिवर्सिटी में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) लागू होने के बाद डीयू का एडमिशन प्रोसेस पहले की तुलना में कहीं ज्यादा पारदर्शी, तार्किक और जवाबदेह हो चुका है. केंद्रीकृत प्रणाली के जरिए अब हर सीट का स्टेटस स्पष्ट रूप से सभी स्टेकहोल्डर्स के सामने होता है और दाखिले साइंटिफिक तरीके से किए जा रहे हैं. कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि डीयू के सीएसएएस एडमिशन सिस्टम के तहत हर आवंटन सार्वजनिक किया जाता है. उम्मीदवारों की प्राथमिकताओं और सीयूईटी स्कोर के आधार पर सीट आवंटन होता है, जिससे ज्यादा या कम दाखिलों की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कॉलेजों को सलाह दी है कि वे कम से कम राउंड में सीटों के बेहतर आवंटन के लिए अपनी सीट मैट्रिक्स पर दोबारा विचार करें.

क्यों खाली रह जाती हैं सीटें?

स्नातक कार्यक्रमों में कुछ कॉलेजों में खाली सीटों को लेकर उठ रहे सवालों पर कुलपति ने स्पष्ट किया कि यह स्थिति सीयूईटी के कारण नहीं है. उन्होंने डीयू दाखिला शाखा के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि सीयूईटी से पहले भी सीटें खाली रहती थीं. साल 2019 में, जब मेरिट आधारित दाखिले होते थे, तब कुल 70,735 सीटों में से 68,213 ही भरी गई थीं और 3.56 प्रतिशत सीटें खाली रह गई थीं. वहीं, 2025 में सीयूईटी आधारित दाखिलों के दौरान कुल 71,642 उपलब्ध सीटों के मुकाबले 72,229 दाखिले हुए हैं, यानी स्वीकृत संख्या से 0.65 प्रतिशत ज्यादा. 

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CUET से क्या बदल गया?

प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि इससे साफ है कि नए सिस्टम ने सीट आवंटन को ज्यादा संतुलित और नियंत्रित बनाया है. कुलपति ने यह भी बताया कि सीयूईटी से पहले कट-ऑफ आधारित प्रणाली में स्थिति अनियंत्रित हो जाती थी. ऐसे मामले सामने आए थे, जहां 11 सीटों की क्षमता वाले कोर्स में 203 दाखिले कर दिए गए, जो तय सीमा से 1745 प्रतिशत अधिक थे. नए सिस्टम में कॉलेज पहले से तय करते हैं कि वे कितनी अतिरिक्त सीटें देना चाहते हैं और उसी के अनुसार डेटा एल्गोरिदम में डाला जाता है.

किसी भी कोर्स को नहीं किया जाएगा बंद

प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि दाखिलों के आंकड़ों का गहन विश्लेषण विश्वविद्यालय को प्रोग्राम की लोकप्रियता समझने और भविष्य की दाखिला नीति बनाने में मदद करता है. आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए सभी कॉलेजों को यह भी सलाह दी गई है कि वे कई राउंड के बाद भी खाली रह गई सीटों को भरने के प्रस्ताव दें. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी कोर्स को बंद नहीं किया जाएगा. विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि कम से कम राउंड में अधिकतम सीटों का प्रभावी और पारदर्शी आवंटन सुनिश्चित किया जा सके.

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