World Theatre Day 2020: विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day 2020) हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है. विश्व रंगमंच दिवस उत्सव एक ऐसा दिन है जो रंगमंच को समर्पित है. विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) की स्थापना 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (International Theatre Institute) द्वारा की गई थी. उसके बाद से ही हर साल 27 मार्च को विश्वभर में रंगमंच दिवस मनाया जाता है. इस दिवस का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश है, जो विश्व के किसी जाने माने रंगकर्मी द्वारा रंगमंच और शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है. 1962 में पहला अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश फ्रांस की जीन काक्टे ने दिया था. वर्ष 2002 में यह संदेश भारत के प्रसिद्ध रंगकर्मी गिरीश कर्नाड द्वारा दिया गया था.
क्यों मनाया जाता है विश्व रंगमंच दिवस?
यह दिन दुनियाभर में थिएटर कला के महत्व के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है. इसके साथ ही ये दिन मनोरंजन के क्षेत्र में कलाकारों द्वारा निभाए गए महत्वपूर्ण रोल को दिखाने के लिए भी मनाया जाता है. रंगमंच से संबंधित अनेक संस्थाओं और समूहों द्वारा इस दिन को विशेष दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है. इस दिन ITI एक कॉन्फ्रेंस आयोजित करता है, जिसमें लोगों को खास मैसेज देने के लिए एक थिएटर कलाकार का चयन किया जाता है. कहा जाता है कि पहले संदेश का 50 भाषाओं में अनुवाद किया गया था, जो हजारों अखबारों में छपा था. उस दिन से लेकर आज तक विश्व रंगमंच दिवस हर साल मनाया जाता है. आज, दुनिया भर में आईटीआई के 85 से अधिक केंद्र हैं. यह कॉलेजों, स्कूलों, थिएटर पेशेवरों को भी हर साल बहुत खुशी के साथ इस दिन को मनाने के लिए प्रोत्साहित करता है.
भारत में रंगमंच का इतिहास
भारत में रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है. ऐसा समझा जाता है कि नाट्यकला का विकास सर्वप्रथम भारत में ही हुआ. ऋग्वेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद हैं. इन संवादों में लोग नाटक के विकास का चिह्न पाते हैं. कहा जाता है कि इन्हीं संवादों से प्रेरणा ग्रहण कर लागों ने नाटक की रचना की और नाट्यकला का विकास हुआ. उसी समय भरतमुनि ने उसे शास्त्रीय रूप दिया. भारत मे जब रंगमंच की बात होती है तो ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में स्तिथ रामगढ़ के पहाड़ पर महाकवि कालीदास जी द्वारा निर्मित एक प्राचीनतम नाट्यशाला मौजूद है.
कहा जाता है कि महाकवि कालिदास ने यहीं मेघदूत की रचना की थी. इस आधार पर यह भी कहा जाता है कि अम्बिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ पर स्तिथ महाकवि कालिदास जी द्वारा निर्मित नाट्यशाला भारत की सबसे पहली नाट्यशाला है. बता दें कि रामगढ़ सरगुजा जिले के उदयपुर क्षेत्र में है,यह अम्बिकापुर-रायपुर हाइवे पर स्थित है.
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