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करीब 60 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है.
पिछले साल 10वीं में कुल 87.66 फीसदी विद्यार्थी पास हुए थे.
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना 1921 में की गई थी.
इस बार 10वीं में 34,04,471 और 12वीं में 26,24,681 यानि कुल 60,29,152 रेगुलर और प्राइवेट स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था. गौरतलब है कि पिछले साल यूपी बोर्ड ने 10वीं-12वीं का रिजल्ट मध्य मई में जारी कर दिया था. लेकिन इस बार चुनावों के चलते परीक्षा कार्यक्रम में देरी हुई. इस बार 12वीं (इंटरमीडिएट) की परीक्षा 16 मार्च से 21 अप्रैल तक हुई थी जबकि हाईस्कूल (10वीं) की परीक्षा 16 मार्च से 1 अप्रैल तक चली थी. पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 16 फरवरी से शुरू होने वाली थीं. लेकिन चुनावों के चलते चुनाव आयोग ने इस परीक्षा कार्यक्रम को टाल दिया था.

कैसा रहा था पिछले साल का रिजल्ट
पिछले साल 10वीं में कुल 87.66 फीसदी विद्यार्थी पास हुए थे. लड़कियों ने 91.11 फीसदी के साथ परीक्षा में बाजी मारी थी, जबकि 84.22 फीसदी लड़के पास हुए थे. वहीं, 12वीं में 87.99 विद्यार्थी पास हुए थे. इसमें 92.48 फीसदी लड़कियों ने तो 84.35 फीसदी लड़कों ने बाजी मारी. 12वीं में बाराबंकी की आरएलबी कॉलेज की छात्रा साक्षी वर्मा ने 98.20 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया था. वहीं 10वीं में चंदौली रायबरेली की सौम्या पटेल ने 98.67 फीसदी अंकों के साथ टॉप किया था.
10वीं में 95.12% के साथ आजमगढ़ सबसे आगे रहा था, जबकि 70.84% के साथ बांदा राज्य में सबसे पीछे रहा था. 12वीं में 96.42 फीसदी रिजल्ट के साथ बस्ती सबसे आगे रहा था जबकि 76.42 फीसदी रिजल्ट के साथ चंदौली सबसे नीचे रहा था.
पुनर्मूल्यांकन, वैराफिकेशन के नियम
बोर्ड छात्रों को अपने नियमों के आधार पर आंसरशीट की पुनर्मूल्यांकन, वैराफिकेशन की अनुमति दे सकता है. इसके लिए छात्रों को आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार करना चाहिए.
नकल के आरोपों के बीच बोर्ड ने 31 जिलों में इस 'संवेदनशील' परीक्षा का आयोजन किया था. राज्य विधानसभा चुनावों के कारण इस साल परीक्षा में देरी हुई थी. इस साल, 26.2 लाख छात्रों ने मध्यवर्ती परीक्षा के लिए आवेदन किया था और लगभग 34.4 लाख छात्रों ने हाई स्कूल परीक्षा दी थी.
1921 में हुई थी यूपी बोर्ड की स्थापना
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना 1921 में की गई थी. बोर्ड इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्रों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए हर साल 10 वीं और 12 वीं परीक्षा आयोजित करता है. इसकी स्थापना से पहले, इलाहाबाद विश्वविद्यालय इन परीक्षाओं का आयोजन करता था.
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