विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि 603 विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षा "पहले ही आयोजित कर चुके हैं" या फिर "आयोजित करने की योजना बना रहे हैं." यूजीसी ने कहा कि 209 विश्वविद्यालयों ने अब तक परीक्षाएं आयोजित कर ली हैं और 394 अगस्त या सितंबर तक परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. यूजीसी द्वारा यह बयान तब आया है, जब कोर्ट यूजीसी के नए दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष (Final Year Exams 2020) के छात्रों के लिए "अनिवार्य" रूप से परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा गया है. कोर्ट इस मामले पर आज 23 जुलाई को फिर से सुनवाई करेगा.
यूजीसी ने एक बयान में कहा, “603 विश्वविद्यालयों ने या तो परीक्षा आयोजित कर ली हैं या आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. 209 विश्वविद्यालयों ने पहले ही परीक्षाएं (ऑन-लाइन / ऑफ-लाइन) मोड में कर ली है और 394 अगस्त या सितंबर में परीक्षा (ऑन-लाइन / ऑफ-लाइन / मिश्रित मोड) आयोजित करने की योजना बना रहे हैं.”
क्या हैं यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रिवाइज्ड गाइडलाइंस में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के लिए सितंबर तक एग्जाम कराने के लिए कहा है. फाइनल ईयर के एग्जाम ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से किए जा सकते हैं. यूजीसी की नई गाइडलाइंस में ये भी बताया गया है कि बैक-लॉग वाले छात्रों को एग्जाम देना अनिवार्य होगा. वहीं, अन्य जो स्टूडेंट्स सितंबर की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे तो यूनिवर्सिटी उन स्टूडेंट्स के लिए बाद में स्पेशल परीक्षाएं कराएगी.
नेता भी कर रहे हैं एग्जाम रद्द करने की मांग
यूजीसी की ये गाइडलाइन्स आने के बाद से लगातार इसका विरोध किया जा रहा है. छात्रों से लेकर नेताओं तक यूजीसी (UGC) के फैसले का विरोध कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर एग्जाम रद्द करने की मांग कर चुके हैं. साथ ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी एग्जाम का विरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं. शिवसेना की यूथ विंग युवा सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर एग्जाम कराने के फैसले को चुनौती दी है. आदित्य ठाकरे ने कहा है कि कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है, इसे देखते हुए यूजीसी को फाइनल ईयर के एग्जाम स्थगित कर देने चाहिए.
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