Aviation Industry 12वीं पास छात्रों को दे रही है अपने सपने पूरा करने का मौका

बारहवीं में साइंस पढ़ने वाले छात्रों को ही मिल सकता है एविएशन क्षेत्र में किस्मत आजमाने का मौका

Aviation Industry 12वीं पास छात्रों को दे रही है अपने सपने पूरा करने का मौका

प्रतीकात्मक चित्र

खास बातें

  • 12वीं में फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित का कुल एग्रीगेट 50 प्रतिशत होना जरू
  • नौकरी के लिए एविएशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीसीए) से लाइसेंस लेना जरूरी
  • इंजनियरिंग विभाग से 3 साल का डिप्लोमा करने वाले भी हो सकते हैं आवेदक
नई दिल्ली:

उड्डयन उद्योग (एविएशन इंडस्ट्री) मौजूदा समय में दुनिया का सबसे तेजी से उभरने वाला क्षेत्र है. यही वजह है कि एयरक्राफ्ट मेंटनेंस में रोजगार के व्यापक मौके उपलब्ध हैं. एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस के क्षेत्र में तेजी से विकसित होने वाले देंशों में भारत भी शामिल है. जहां नागिरक उड्डयन के क्षेत्र में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को बारहवीं पास होना अनिवार्य है. 

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नेचर ऑफ वर्क
किसी भी विमान को हमेशा उड़ने लायक बनाए रखने के लिए उस विमान पर काम करने वाले एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स टीम की बड़ी भूमिका होती है. इस टीम के जिम्मे विमान के इंस्ट्रूमेंटेशन और अन्य संबंधित भागों की मरम्मत, मेंटेनेंस और नियंत्रण की जिम्मेदारी  होती है. टीम विमान के इंजन और लगातार काम कर रहे पुर्जों की भी जांच करता है. इसके अलावा एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग के क्षेत्र में डिजाइनिंग, विमानों का निर्माण और उनकी मेंटेनेंस की भी जिम्मेदारी इनकी ही होती है. इसके साथ ही साथ विमान के नेविगेशनल गाइडेंस, इंस्ट्रूमेंटेशन, हाईड्रॉलिक व न्योमेंटेंशन, इंजन और फ्यूल सिस्टम, कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम जैसे भी कार्य शामिल हैं.
एयरक्राफ्ट मैकेनिक को कई प्रकार के अलग-अलग विमानों में कार्य करना पड़ता है. इन मैकेनिक को विमानों की क्षमता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिकल सिस्टम, इंसपेक्शन और एयरकंडीशनिंग मैकेनिज्म की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

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इन मेंटेनेंस मैकेनिक्स
- लाइन मेंटेनेंस मैकेनिक्स विमान के किसी भी संबंधित पुर्जे पर काम कर सकते हैं।
- एयरपोर्ट पर इमरजेंसी या जरूरत के समय पर रिपेयरिंग का काम भी इन्ही के जिम्मे
- फ्लाइट ‘टेक ऑफ के समय’ इंजीनियर के निर्देशानुसार निरीक्षण का कार्य

ओवरहॉल मैकेनिक्स
- विमानों की उड़ान खत्म होने के बाद उनकी रुटिन मेंटेनेंस का काम ओवरहॉल मैकेनिक्स की देख-रेख में ही होता है।
- विमान के एयरफ्रेम और मरम्मत की जिम्मेदारी एयरक्राफ्ट एयरफ्रेम मैकेनिक की होती है।
- जबकि एयरक्राफ्ट पावर प्लांट मैकेनिक विमान के इंजन पर कार्य करते हैं।

योग्यता
इस पद के लिए आवेदन करने के लिए जरूरी है कि आवेदक ने बारहवीं में साइंस स्ट्रीम (फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित के साथ) से पढ़ाई की हो. इसके बाद ही अभ्यर्थी इसके एंट्रेंस एग्जाम में बैठ सकते हैं. चार साल के ऐरोस्पेस इंजीनियर कोर्स में दाखिले के बाद अभ्यर्थी इस क्षेत्र में नौकरी पा सकते हैं. एंट्री लेवल की जॉब पाने के लिए बैचलर इंजीनियरिंग (बीई) डिग्री से ही काम चलाया जा सकता है, जबकि बड़े पदों पर पहुंचने के लिए मास्टर या डॉक्टरेट डिग्री करना अनिवार्य है.
ये हैं भारत के टॉप एएमई कॉलेज 
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग, दिल्ली
- राजीव गांधी एविएशन एकेडमी, बोवेनपल्ली, सिकंदराबाद
- हैदराबाद (एपी) इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग, गौतम नगर, सिकंदराबाद
- बेंगलुरू हिंदुस्तान एविएशन एकेडमी, चिन्नापनाहल्ली, बेंगलुरू
- सेंटर ऑफ सिविल एविएशन ट्रेनिंग, दिल्ली

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- हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, जीएसटी रोड, सेंट थोमस माउंट, चेन्नई
- ऐरोनॉटिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, लखनऊ


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