महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने केंद्र से कोविड -19 महामारी के मद्देनजर देश भर में कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पर एक समान निर्णय लेने की अपील की.
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता अरविंद सावंत ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को 10 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा कि किसी भी राज्य द्वारा एकतरफा निर्णय से उस राज्य के छात्रों को नुकसान होगा, जो करियर और अवसरों के लिहाज से नुकसानदेह है.
सावंत ने अपने पत्र में कहा, "आपके हस्तक्षेप का मतलब किसी विशेष राज्य द्वारा एकतरफा फैसले के बजाय राष्ट्रीय सहमति होगा." मुंबई-दक्षिण से लोकसभा सदस्य ने केंद्र से देश के लिए एक समान निर्णय लेने की अपील की ताकि सुरक्षा उपायों या अवसरों के मामले में किसी भी राज्य के कक्षा 10 और 12 के छात्रों के साथ कोई भेदभाव न हो.
सावंत ने कहा, "हमारे पास भारत में कई बोर्ड हैं- सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड, आईबी और आईजीसीएसई. देश भर में परीक्षाओं के संदर्भ में मानव संसाधन विकास (शिक्षा) मंत्रालय से स्पष्ट संवाद की आवश्यकता है."
उन्होंने कहा कि कई युवा भारतीय अप्रैल-मई में अपने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय की परीक्षा में बैठने वाले हैं. सावंत ने कहा कि ये सभी छात्र आयु वर्ग के हैं जिन्हें कोरोना -19 के खिलाफ टीकाकरण की अनुमति नहीं है.
उन्होंने कहा कि परीक्षा कुछ दिनों में होने वाली है, जो कई छात्रों और उनके परिवारों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उच्च जोखिम में डाल देगा.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लगातार सुझाव दिए जाने से कई छात्र और शिक्षक माइक्रो-कंट्रीब्यूशन ज़ोन से आ रहे हैं, जो लॉजिस्टिक्स को कठिन बनाता है.
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