युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाले गए छात्र और उनके माता-पिता रविवार को जंतर-मंतर पर एकत्र हुए. छात्रों और अभिभावकों ने देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सरकार से मदद की अपील की. जंतर-मंतर पर एकत्र हुए छात्रों और अभिभावकों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था "यूक्रेन के सभी भारतीय एमबीबीएस छात्रों की मदद करें" और "भारतीय छात्रों का करियर बचाओ." रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है जिसके कारण यूक्रेन में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्रों को अपनी जान बचान कर मेडिकल की पढ़ाई अधूरी छोड़ देश लौटना पड़ा है.
मेडिकल की पढ़ाई आधी-अधूरी रहने से इन छात्रों का भविष्य अंधेर में नजर आ रहा है. जिसके लेकर पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें यूक्रेन से निकाले गए भारतीय मेडिकल छात्रों के देश में प्रवेश और पढ़ाई जारी रखने के मुद्दे पर निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिका में केंद्र को भारतीय पाठ्यक्रम में उन्हें प्रवेश देने के लिए एक चिकित्सा विषय समकक्षता उन्मुखीकरण कार्यक्रम प्रदान करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सिफारिश की है कि ऐसे छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एक बार के उपाय के रूप में समायोजित किया जाना चाहिए.
4 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में, आईएमए ने कहा था कि ऐसे छात्रों को "एप्रोप्रिएट डिस्बर्स्ड डिस्ट्रिब्यूशन" के माध्यम से अपने शेष एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय मेडिकल कॉलेजों में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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