प्रतीकात्मक चित्र
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज स्वीकार किया कि निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में छात्रों के बीच में पढ़ाई छोड़ने की दर ज्यादा है. उन्होंने हालांकि कहा कि सरकारी स्कूलों के स्तर में सुधार के लिए कदम उठाए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षा शुरू करने के लिए सरकार एक विधेयक लाएगी.
जावडेकर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाबों में यह बात स्वीकार की कि सरकारी स्कूलों में छात्रों द्वारा बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की दर ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इसकी कई वजहें हैं जिनमें एक निजी स्कूलों के प्रति लोगों की रूचि का बढ़ना भी है.
सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए सरकार के गंभीर होने का दावा करते हुए जावडेकर ने कहा कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षा शुरू किए जाने का प्रस्ताव हैऔर इसके लिए एक विधेयक लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 24 राज्यों ने ऐसी परीक्षाएं शुरू करने के समर्थन में राय दी है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में प्रावधान होगा कि ऐसी परीक्षा में फेल हो जाने छात्रों को एक मौका और दिया जाए.
मौजूदा व्यवस्था के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक कोई परीक्षा नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले तीन साल में स्कूलों में सुधार के कई प्रयास किए हैं. उन्होंने शिक्षा को रूचिकर बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने इस दिशा में पहल की है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण में भी इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वे शिक्षा को किस प्रकार रूचिकर बना सकते हैं.
सरकार द्वारा वित्तपोषित स्कूलों को निजी क्षेत्र में सौंपे जाने के किसी प्रस्ताव से इंकार करते हुए जावडेकर ने कहा कि सरकार ने स्कूलों में सुधार को चुनौती के रूप में लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय भी सरकारी क्षेत्र के ही स्कूल हैं जो काफी अच्छे हैं.
उन्होंने कहा कि स्कूलों में सुधार के लिए राज्यों से कहा गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जावडेकर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाबों में यह बात स्वीकार की कि सरकारी स्कूलों में छात्रों द्वारा बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की दर ज्यादा है. उन्होंने कहा कि इसकी कई वजहें हैं जिनमें एक निजी स्कूलों के प्रति लोगों की रूचि का बढ़ना भी है.
सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए सरकार के गंभीर होने का दावा करते हुए जावडेकर ने कहा कि पांचवीं और आठवीं कक्षा में परीक्षा शुरू किए जाने का प्रस्ताव हैऔर इसके लिए एक विधेयक लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 24 राज्यों ने ऐसी परीक्षाएं शुरू करने के समर्थन में राय दी है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में प्रावधान होगा कि ऐसी परीक्षा में फेल हो जाने छात्रों को एक मौका और दिया जाए.
मौजूदा व्यवस्था के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक कोई परीक्षा नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले तीन साल में स्कूलों में सुधार के कई प्रयास किए हैं. उन्होंने शिक्षा को रूचिकर बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने इस दिशा में पहल की है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण में भी इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वे शिक्षा को किस प्रकार रूचिकर बना सकते हैं.
सरकार द्वारा वित्तपोषित स्कूलों को निजी क्षेत्र में सौंपे जाने के किसी प्रस्ताव से इंकार करते हुए जावडेकर ने कहा कि सरकार ने स्कूलों में सुधार को चुनौती के रूप में लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय भी सरकारी क्षेत्र के ही स्कूल हैं जो काफी अच्छे हैं.
उन्होंने कहा कि स्कूलों में सुधार के लिए राज्यों से कहा गया है.
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