नई दिल्ली:
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने आज कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक एवं दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक के जरिये साझा प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को विधिक दर्जा प्रदान करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद छात्रों को परेशानी से राहत प्रदान करने के साथ निष्पक्ष एवं पारदर्शी मेडिकल परीक्षा सुनिश्चित करना है।
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इन दोनों विधेयकों पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि इस विधेयक का मकसद कई परीक्षाओं की जटिलताओं और परेशानियों को दूर करते हुए निष्पक्ष एवं पारदर्शी परीक्षा सुनिश्चित करना है। उनके जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सदन ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक पर लाए गये विपक्ष के एक संशोधन को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। इन दोनों विधेयकों को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है।
उच्च सदन में स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले इन विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि सरकार भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) में सुधार के मामले में किसी भी दबाव में नहीं झुकेगी। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि इस बारे में संसद की स्थायी समिति ने जो सिफारिशें की हैं उनके अनुरूप कदम उठाए जाएंगे।
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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि एनईईटी का प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय का नहीं था बल्कि यह सरकार का प्रस्ताव था जिसे पहले शीर्ष अदालत ने रद्द कर दिया था और बाद में उसे बहाल किया। नड्डा ने कहा कि एनईईटी परीक्षा के संबंध में सरकार ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और सर्वदलीय बैठक में चर्चा की और एनईईटी के पक्ष में विचार सामने आया। चिंताएं यह थी कि कई राज्य बोर्ड मेडिकल परीक्षा ले चुके थे और छात्र राज्य के पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयारी कर चुके थे जिससे उन्हें साझा प्रवेश परीक्षा की स्थिति में परेशानी हो सकती थी। जारी
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इन दोनों विधेयकों पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि इस विधेयक का मकसद कई परीक्षाओं की जटिलताओं और परेशानियों को दूर करते हुए निष्पक्ष एवं पारदर्शी परीक्षा सुनिश्चित करना है। उनके जवाब के बाद सदन ने दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सदन ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक पर लाए गये विपक्ष के एक संशोधन को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। इन दोनों विधेयकों को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है।
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