हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज जयंती है. दुनिया में हॉकी को पहचान दिलाने वाले ध्यानचंद का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ध्यानचंद को लोग प्यार से दद्दा कहकर संबोधित करते थे. ध्यानचंद की जयंती पर हर साल खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है. ध्यानचंद (Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद शहर में था. उनके छोटे भाई रूपसिंह ने भी हॉकी में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. ध्यानचंद की गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में होती है. मेजर ध्यानचंद ने भारत को ओलंपिक में 3 स्वर्ण पदक दिलवाए थे. उन्होंने एम्सटर्डम में हुए ओलंपिक खेलों में भारत की ओर से सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे. उन्होंने भारत को 3 ओलंपिक खेलों में गोल्ड दिलाया था. ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर में 1000 से अधिक गोल किए थे.
मेजर ध्यानचंद का किस्सा काफी मशहूर है. मेजर ध्यानचंद ने जर्मनी जैसी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ हॉकी टीम को 8-1 से ओलंपिक में हराकर हिटलर को अपना मुरीद बना लिया था. भारत और जर्मनी के बीच हुआ ये मैच बेहद दिलचस्प था. उस समय बारिश हुई थी तो मैदान गीला था और बिना स्पाइक वाले रबड़ के जूते लगातार फिसल रहे थे. ऐसे में ध्यानचंद ने हाफ टाइम के बाद जूते उतार कर नंगे पांव खेलना शुरू किया. नंगे पांव खेलते हुए ध्यानचंद ने कई बेहतरीन गोल दागे. इस मैच में भारत ने 8-1 से जर्मनी को हराया था. मैच जीतने के अगले दिन ये ऐलान हुआ कि हिटलर विजेता भारतीय टीम को मेडल पहनाएंगे.
अगले दिन हिटलर आए और उन्होंने ध्यानचंद की पीठ ठोंकी. हिटलर की नजर ध्यानचंद के जूतों पर पड़ी जिसके बाद उन्होंने सवाल पूछना शुरू किए. ध्यानचंद ब्रिटिश इंडियन आर्मी की पंजाब रेजिमेंट में लांस नायक जैसे छोटे पद पर थे, हिटलर ने उन्हें जर्मनी में रुकने और सेना में कर्नल बनने का ऑफर दिया. लेकिन देश प्रेम के चलते ध्यानचंद ने विनम्रता से इस ऑफर को ठुकरा दिया. उन्होंने हिटलर से कहा, ''नहीं पंजाब रेजिमेंट पर मुझे गर्व है और भारत ही मेरा देश है.'' जिसके बाद मेडल पहनकर ध्यानचंद वहां से चले गए.
अन्य खबरें
हिटलर के सम्मान को ठुकराने वाले 'दद्दा' को देश ने क्या दिया?
मेजर ध्यानचंद ने ओलंपिक में भारत को 3 बार दिलाया था गोल्ड, जानिए उनके जीवन से जुड़ी 5 खास बातें
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं