कर्नाटक में आज (गुरुवार) से 10वीं क्लास की पेंडिंग परीक्षाएं (SSLC Exams) शुरू हो गई हैं. 8 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा दे रहे हैं, लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते परीक्षार्थियों के माता-पिता चिंतित हैं. लेकिन राज्य बोर्ड ने कोरनावायरस के बीच ही परीक्षाओं को आयोजित कराने का फैसला किया. राज्य के शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक कर्तव्य है जिसे राज्य सरकार निभा रही है. हमारे राज्य में 10वीं कक्षा एक छात्र के जीवन में बहुत मायने रखती है. हमने कई लोगों से सलाह ली और इसके बाद परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया. हम उच्च न्यायालय में एक एसओपी (SOP) भी जमा करा चुके हैं, जिसे हरी झंडी दे दी गई है."
Karnataka: Students arrive at St Mary's School in Kalaburagi to write their School Leaving Certificate (SSLC) exams. The SSLC exams are commencing today.
— ANI (@ANI) June 25, 2020
About 8,48,203 students are appearing in the exam. pic.twitter.com/mzrmAvzTc9
उन्होंने आगे बताया, "बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. प्रत्येक कमरे में केवल 18 छात्रों को अनुमति दी गई है और अगर कमरा बड़ा है तो 20 बच्चे बैठ सकते हैं. इस तरह सोशल डिस्टेंस बना रहेगा. प्रत्येक छात्र को थर्मल स्कैनर के साथ परीक्षण किया जाएगा. अगर कोई छात्र मास्क लाना भूल जाता है, तो परीक्षा केंद्र उन्हें मास्क देंगे. सैनिटाइज़र का उपयोग किया जाएगा. हम माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमें सहयोग दें और दरवाजों पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें."
Karnataka: Arrangements at Lamington High School in Hubli, which has been designated as a centre for School Leaving Certificate (SSLC) exams, being inspected. The SSLC exams are commencing today. pic.twitter.com/2dDqUxAevE
— ANI (@ANI) June 25, 2020
बता दें कि राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कर्नाटक के स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खास ख्याल रखा जा रहा है. आज परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स के परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने पर उन्हें मास्क और सैनिटाइज़र दिए गए और परीक्षा केंद्रों में एंट्री करने से पहले सभी स्टूडेंट्स का तापमान चेक किया गया.
परीक्षा केंद्रों पर छात्रों को भेजने से डर रहे हैं अभिभावक
दरअसल, कोरोना के चलते परीक्षा को लेकर कई अभिभावक चिंतित हैं. कई अभिभावक बच्चों को परीक्षा केंद्रों पर भेजने से इंकार कर रहे हैं. एक छात्रा के पिता ने कहा, 'महामारी को देखते हुए यह सही समय नहीं है कि परीक्षाएं कराई जाएं. कोरोना के बढ़ते मामले डराने वाले हैं. लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं. यह अच्छा होता अगर सरकार परीक्षा 2-3 महीने बाद कराती. मैं अपनी बेटी को परीक्षा देने नहीं भेजूंगा. हर कोई डरा हुआ है. परीक्षा देने के लिए छात्र स्थिर स्थिति में नहीं हैं. भय की स्थिति है. वह परीक्षा कैसे लिख सकते हैं. वह लोग (राज्य सरकार) सिर्फ 8 लाख छात्रों को ही नहीं, बल्कि 8 लाख परिवारों की जान जोखिम में डाल रहे हैं.'
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