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This Article is From Feb 01, 2018

Kalpana Chawla: कागज पर हवाई जहाज बनाने से लेकर अंतरिक्ष में जाने का सपना पूरा करने वाली पहली भारतीय महिला

Kalpana Chawla पंजाब से इंजीनियरिंग में बैचलर करने के बाद अमेरिका चलीं गई थी. वहां से उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की.

Kalpana Chawla: कागज पर हवाई जहाज बनाने से लेकर अंतरिक्ष में जाने का सपना पूरा करने वाली पहली भारतीय महिला
कल्पना चावला की फाइल फोटो
नई दिल्ली: कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला थीं जिन्होंने अंतरिक्ष में पहली बार कदम रखा. कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल में हुआ था. वह बचपन से ही पढ़ने में तेज थीं. उन्हें बचपन में हवाई जहाज की तस्वरी बनाना बेहद पसंद था. पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से  एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर करने के बाद वह 1982 में यूनाइटेड स्टेट्स चली गईं. वहां से उन्होंने एयरोस्पेस  इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री ली. चावला ने मास्टर में दूसरी डिग्री 1986 में हासिल की. जबकि उन्होंने अपनी पीएचडी 1988 में पूरी की.

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जब नासा से जुड़ी कल्पना- बचपन से स्पेस और साइंस में रुचि की वजह से कल्पना ने वर्ष 1988 में नासा के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. उन्होंने यहां काम करते हुए कई तरह के री-सर्च वर्क पर काम किया. इनमें से ही एक खास प्रोग्राम था कंप्यूटेशनल फ्लूयड डायनामिक्स (सीएफडी). नासा के साथ जुड़ने की वजह से उन्होंने 1993 में ओवरसेट मेथड को बतौर वाइस प्रेसीडेंट के तौर पर ज्वाइन किया. 1991 में अमेरिका की नागरिकता लेने के बाद चावला ने नासा एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स के लिए आवेदन किया. उन्होंने कॉर्प्स को 1995 में ज्वाइन किया जबकि उन्हें पहली फ्लाइट के लिए 1996 में चुना गया. 

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पहला स्पेस मिशन- कल्पना चावला को 19 नवंबर 1997 में पहली बार स्पेस में जाने का मौका मिला. वह छह स्पेस यात्रियों में से एक थीं. जिन्हें यह मौका दिया गया था. चावला ऐसा करने वाली पहली महिला और राकेश शर्मा के बाद दूसरी भारतीय थीं. 

दूसरा स्पेस मिशन- उन्हें वर्ष 2000 में दूसरी बार स्पेस में जाने के लिए फिर से चुना गया. इस बार वह  STS-107 क्रू का हिस्सा थीं. हालांकि तकनीकी कारणों से इस मिशन को भेजने में लगातार देरी हो रही थी. आखिरकार 16 जनवरी 2003 के दिन इस मिशन को शुरू किया गया. 



कैसे हुई दुर्धटना का शिकार- कल्पना चावला का दूसरा स्पेस मिशन ही उनके लिए आखिरी स्पेस मिशन साबित हुआ. कल्पना की मौत 1 फरवरी 2003 को हुई. तकनीकी खराबी की वजह से उनका स्पेस शटल पृथ्वी पर सही-सलामत नहीं लौट पाया. इस हादसे को स्पेश शटल कोलंबिया डिजास्टर के नाम से भी जाना जाता है. 

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