International Literacy Day 2022: हर साल 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य शिक्षा के महत्व को हरेक व्यक्ति, समुदाय और समाज तक पहुंचाना है. यूनाइडेट नेशन एजुकेशनल , साइंटिफिक एंड कल्चरर आर्गेनाइजेशन (UNESCO) ने 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को के आम सम्मेलन के 14वें सत्र में इस दिन की घोषणा की थी. अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पहली बार 1967 में मनाया गया था. यूनेस्को के अनुसार, दुनिया भर में 771 मिलियन निरक्षर लोग हैं, जिनके लिए शिक्षा एक बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं. दुनिया के 771 मिलियन लोगों में अधिकांश महिलाएं हैं. भारत की तरह दुनिया के कई देशों में महिलाओं की शिक्षा को बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. कोविड-19 के कारण देश ही नहीं दुनिया भर में साक्षरता में गिरावट देखी गई है. यूनेस्कों ने कहा, "महामारी के बाद, लगभग 24 मिलियन लर्नर अब फॉर्मल शिक्षा में कभी नहीं लौट सकते हैं, जिनमें से 11 मिलियन लड़कियों और युवा महिलाओं के होने का अनुमान है."
भारत में साक्षरता की स्थिति
अपने देश भारत में साक्षरता दर में लगातार इजाफा हो रहा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के सर्वेक्षण के अनुसार, देश की साक्षारता दर 77.7 प्रतिशत है. इसमें से शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 87.7 प्रतिशत जबकि गांवों में 73.5 प्रतिशत लोग पढ़े-लिखे लोग हैं. अगर देश में महिला -पुरुष की साक्षरता दर की बात करेंगे तो महिलाओं की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत और पुरुषों की 84.7 प्रतिशत है. यानी पढ़ाई-लिखाई में पुरुष आगे हैं और महिला पीछें. वहीं देश में सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा राज्य अगर कोई है तो वह है केरल. यहां साक्षरता दर 66.4 प्रतिशत है.
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इस साल का थीम
हर साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है. इस दिन साक्षारता यानी शिक्षा के महत्व को दुनिया भर के देशों में फैलाया जाता है. यूनेस्को ने इस वर्ष की अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम को 'ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेसेस' के रूप में घोषित किया है.इसमें कहा गया है कि यह "यह मौका है साक्षरता के मौलिक महत्व पर पुनर्विचार करने, सीखने के स्थान बनाने, उसे लचीला, गुणवत्तापूर्ण, न्यायसंगत और समावेशी बनाने की." इस मौके पर यूनिस्को ने दो दिन के डायब्रिड मोड में इंटरनेशनल इवेंट का आयोजन किया है.
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