ऑफिस में रिश्ते खराब किए बगैर यूं जताएं किसी मुद्दे पर अपनी असहमति, ये रहे 5 टिप्स

ऑफिस में रिश्ते खराब किए बगैर यूं जताएं किसी मुद्दे पर अपनी असहमति, ये रहे 5 टिप्स

नयी दिल्ली:

कई बार ऑफिस में किसी मामले को लेकर बॉस और सहकर्मियों से मतभेद पैदा हो जाते हैं. बहस और मतभेद एक शीतयुद्ध का माहौल पैदा कर देते हैं और इसका असर ऑफिस के माहौल, उत्पादकता और आपकी परफॉर्मेंस पर पड़ता है. कइयों को तो इसकी कीमत अपनी नौकरी खोकर चुकानी पड़ती है. लेकिन आप चाहें तो ऐसी स्थिति पैदा होने से रोक सकते हैं. इससे आपका मान-सम्मान भी बना रहेगा और बॉस व कलिग के साथ अच्छा रिश्ता भी बना रहेगा. आपको बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जानिए ये टिप्स - 

सामने वाले को पहले सुनें 
किसी मुद्दे पर असहमति पैदा होने पर अपने बॉस या कलिग के विचारों को पहले ध्यान से सुनें. उन्हें बीच में न टोकें. बहुत बार ऐसा होता है कि सामने वाले शख्स उस तरह से अपनी राय जाहिर नहीं करते जिसकी अपेक्षा आप करते हैं. ऐसे में उन्हें समझने की कोशिश करें. ये भी समझें कि वह ऐसा क्यों सोचते हैं. उन्हें वह जानकारी कहां से  मिली. अगर आप उस स्त्रोत तक पहुंच पाते हैं और अपनी बात साबित करने में उसका भी जिक्र करते हैं तो यकीनन आप बेहतर प्रभाव जमा पाएंगे.

पद को अलग रखें और प्रोफेशल रहें
कलिग के साथ किसी भी तरह के विचार-विमर्श में आपका पद और अहम आड़े नहीं आना चाहिए. अगर किसी बात को लेकर असहमति है तो एक-दूसरे को सम्मान के साथ सुनें.

सामने वाले को पहचानें 
असहमति व्यक्त करने से पहले बॉस या कलिग के मिजाज को समझें. अगर वह लॉजिकल है तो आपके पास अपनी बात साबित करने के लिए कुछ डाटा और फिगर जरूर होनी चाहिए. और अगर वह भावुक हैं तो आप सकते हैं कि इस कदम से बिजनेस पर बुरा असर पड़ेगा.

अपनी भाषा और शब्दों पर ध्यान दें 
असहमति व्यक्त करते समय अपनी भाषा और व्यवहार विनम्र रखें. कोई भी चुभने वाला शब्द न बोलें. क्योंकि मुंह से निकले शब्द आप वापस नहीं पाएंगे. आपकी बातें और बॉडी लेंग्वेज दोनों सकारात्मक होने चाहिए. आपनी आवाज की टोन धीमी और नरम रखें. उसमें जरा भी कड़वाहट, गुस्सा और पूर्वाग्रह न हो.

मतभेद को मनभेद न बनने दें
बहुत बार आपके कलिग से मतभेद पैदा होते हैं और वो दूर भी हो जाते हैं. लेकिन अगले दिन जब वह कलिग आपके सामने आता है तो आपका अहम आपको उससे पहले जैसा व्यवहार करने से रोकता है. कई बार तो आप उससे नजर चुराने लगते हैं. 'हाय' 'है्लो' तक नहीं कर पाते. लेकिन आपको अपने अहंकार को दूर रखना होगा. मतभेद को मनभेद न बनने दें. विचारों का अलग-अलग होना स्वभाविक है. उसे अपने व्यवहार में न लाएं. प्रोफेशल बनें और उस कलिग से हमेशा जोशीले अंदाज के साथ मिलें.


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