
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्य में दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष ऑनलाइन शिक्षा देने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार की है और इसके लिए दूरदर्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ एनजीओ अनामप्रेम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड-19 महामारी के बीच दिव्यांग बच्चों के सामने आने वाली समस्याओं पर चिंता जाहिर की गयी है.
याचिकाकर्ता के वकील उदय वारुंजीकर ने अदालत से कहा कि स्टाफ नहीं होने या मोबाइल सुविधाओं की कमी जैसी अनेक समस्याओं के कारण दिव्यांग छात्र इस महामारी के दौर में अपनी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. वारुंजीकर ने सरकार को सुझाव दिया कि ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थानीय सरकारी चैनलों और रेडियो का इस्तेमाल किया जा सकता है.
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘कोई समाधान निकालिए. यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. आप दूरदर्शन पर एक या दो घंटे का स्लॉट ले सकते हैं और विशेष शिक्षण कार्यक्रम दिखा सकते हैं.''
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