धीरूभाई अंबानी की आज जन्मतिथि (Dhirubhai Ambani Birth Anniversary) है. भारत में कॉर्पोरेट जगत की तस्वीर बदलने वाले धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) की नीव रखी थी. धीरूभाई अंबानी का जन्म (Dhirubhai Ambani Birthday) 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था. धीरूभाई (Dhirubhai) का पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था. उनका बचपन गरीबी में बीता. हाईस्कूल के बाद ही उनको पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी. पढ़ाई छूट जाने के बाद धीरूभाई (Dhirubhai Ambani) ने परिवार की जिम्मेदारी अपने सर ले ली, उन्होंने पैसे कमाने के लिए छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए. बता दें कि धीरूभाई अंबानी ने महज 1000 रुपये से रिलायंस की शुरुआत की थी, जो अब 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनी हो गई है. साल 1977 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहली बार अपना आईपीओ जारी किया. साल 1991 में रिलायंस ने पहली बार रिफाइनरी क्षेत्र में प्रवेश किया. जिसके बाद कंपनी ने लगातार देश में अपना नाम कमाया.
‘कर लो दुनिया मुठ्ठी में' के स्लोगन के साथ आरकॉम की शुरुआत
धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने साल 2002 में आरकॉम लॉन्च की. रिलायंस समूह ने मोबाइल की दुनिया में ‘कर लो दुनिया मुठ्ठी में' के स्लोगन के साथ कदम रखा था. जिस वक्त धीरूभाई ने रिलायंस क्म्यूनिकेशन की शुरुआत की थी, उस समय भारत में कई टेलीकॉम कंपनियां मौजूद थी. लेकिन आरकॉम ने बाजार में आते ही तहलका मचा दिया था. धीरूभाई का उद्देश्य देश के हर आदमी तक मोबाइल पहुंचाना था. उस समय कॉल दर बहुद महंगी होती थी.
रिलायंस (Reliance) ने महज 600 रुपए में मोबाइल फोन लॉन्च किया. इतना ही नहीं महज 15 पैसे प्रति मिनट में कॉल का ऑफर पेश किया गया. उस समय टेलीकॉम इंडस्ट्री में सरकारी कंपनी बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन (हच), आइडिया, टाटा, एयरसेल, स्पाइस, और वर्जिन मोबाइल मौजूद थी. धीरू भाई अंबानी ने कहा था कि उनका मकसद पोस्टकार्ड से भी कम कीमत पर लोगों को बात कराने की सुविधा देना है.
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धीरूभाई अंबानी के नाम पर है स्कूल
धीरूभाई अंबानी के नाम पर इंटरनेशनल स्कूल भी है. इस स्कूल का नाम ''धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल'' (Dhirubhai Ambani International School) है. धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल में सचिन तेंदुलकर, शाहरुख खान से लेकर श्रीदेवी तक के बच्चे पढ़ चुके हैं. अधिकतर स्टार्स के बच्चे इस स्कूल से पढ़कर निकल चुके हैं या इसमें फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं.
बेटों को पढ़ाया विदेश में
धीरूभाई अंबानी को हाईस्कूल के बाद अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने अपने दोनों बेटों को विदेश में पढ़ाया था. उन्होंने मुकेश (Mukesh Ambani) और अनिल दोनों को यूएस में पढ़ाया था. पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों भाइयों ने भारत लौटकर रिलायंस इंडस्ट्रीज में जुड़ कर अपने पिता की मदद करना शुरू कर दिया. नतीजा ये रहा कि 6 जुलाई 2002 को जब उनकी मौत हुई तब तक रिलायंस 62 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी थी.
Dhirubhai Ambani: कभी चाट-पकौड़े बेचते थे Reliance Industries के मालिक
पहली बार बिजनसमैन ऑफ द ईयर चुने गए
वर्ष 1994 में रिलायंस ने पहली बार यूएस 300 मीलियन डॉलर का जीडीआर इशू करने की वजह से धीरू भाई को पहली बार बिजनसमैन ऑफ द ईयर चुना गया.
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