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दिल्ली विश्वविद्यालय प्लेसमेंट की दरवाजे खोलने जा रहा है.
प्रशासन कुछ विदेशी कंपनियों को बुलाने पर भी बातचीत कर रहा है.
प्लेसमेंट प्रक्रिया में शामिल होने के लिए लिए अभी से तैयारी शुरू दें.
कभी न हो लेट
समय पर न पहुंचने वालों का हर एक जगह खराब इम्प्रैशन ही पड़ता है. फिर चाहे बात कॉलेज प्लेसमेंट की ही क्यों न हो. इंटरव्यू राउंड में देरी से पहुंचने वालों के सेलेक्ट होने के चांसेज न के बराबर रह जाते हैं, क्योंकि एक एचआर को इंटरव्यू के दौरान देरी से पहुंचने वाले उम्मीदवार बिलकुल रास नहीं आते हैं.
बेसिक को न करें नजरअंदाज
बहुत से उम्मीदवार इंजीनियरिंग के शुरुआती सालों में पढ़ाए गए बेसिक्स को नजरअंदाज कर देते हैं और प्लेसमेंट से पहले इन्हें दोबारा रिवाइज न करने की गलती कर बैठते हैं. जबकि प्लेसमेंट के दौरान अक्सर नियोक्ता बेसिक से जुड़े सवाल पूछते हैं. इसलिए जब भी आप कॉलेज प्लेसमेंट के लिए जाए तो एक बार अपने बेसिक्स का रीविजन कर के जाएं.
अंग्रेजी की है डिमांड
आपको चाहे ये बात अच्छी लगे या न लगे पर अच्छी अंग्रेजी लिखने और बोलने वाले लोगों की भारतीय जॉब मार्केट में काफी डिमांड है. हालांकि इस बात को जानते हुए भी बहुत से लोग अपने कम्यूनिकेशन स्किल्स पर ध्यान नहीं देते हैं. अगर आपको लगता है कि आप अंग्रेजी बोलने और लिखने में थोड़े कमजोर हैं तो प्लेसमेंट पर जाने से पहसे इस पर जरूर थोड़ा काम कर के जाएं.
फीडबैक लेना न भूलें
एक बार इंटरव्यू खत्म हो जाने के बाद आपको नियोक्ता से अपना फीडबैक भी ले लेना चाहिए, भले ही आपका चयन न हुआ हो. ऐसा करने का फायदा आपको भविष्य में मिलेगा, क्योंकि इससे आपको अपनी कमियों के बारे में पता चलता है. इसकी मदद से आप प्लेसमेंट के दौरान दूसरी कंपनियों के सामने खुद को बेहतर ढंग से पेश कर पाएंगे.
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