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This Article is From May 14, 2020

Delhi University: टर्म एग्जाम के लिए ईमेल पर भेजे जाएंगे असाइनमेंट्स, इन चीजों में स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत

दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर्स स्टूडेंट्स को ईमेल के जरिए असाइनमेंट्स भेजेंगे, जिन्हें सॉल्व करके स्टूडेंट्स को ईमेल के जरिए ही टीचर्स को वापस भेजना होगा.

Delhi University: टर्म एग्जाम के लिए ईमेल पर भेजे जाएंगे असाइनमेंट्स, इन चीजों में स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत
Delhi University: टर्म एग्जाम के लिए ईमेल पर भेजे जाएंगे असाइनमेंट्स.
नई दिल्ली:

Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इंटरनल असेसमेंट मार्क्स, प्रैक्टिकल, विवा-वॉयस, प्रोजेक्ट्स, ओरल (मूट कोर्ट), अपरेंटिसशिप, इंटर्नशिप, फील्ड वर्क आदि के संचालन के लिए अपनाई गई नई प्रक्रिया का शेड्यूल जारी कर दिया है, जिसे एंड टर्म थ्योरी परीक्षा आयोजित करने से पहले पूरा किया जाएगा. इंटरनल असेसमेंट प्रक्रिया में किया गया बदलाव केवल मौजूदा सेमेस्टर के लिए ही मान्य होगा. 

मौजूदा सेमेस्टर के लिए इंटरनल असेसमेंट के तीन कंपोनेंट्स (क्लास टेस्ट, ट्यूटोरियल टेस्ट और अटेंडेंस) के बजाय केवल एक ही कंपोनेंट यानी इंटरनल असाइनमेंट्स को ही माना जाएगा. वर्तमान सेमेस्टर के लिए इंटरनल असेसमेंट आईटी (IT) उपकरणों का उपयोग करके किया जाएगा. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर्स स्टूडेंट्स को ईमेल के जरिए असाइनमेंट्स भेजेंगे, जिन्हें सॉल्व करके स्टूडेंट्स को ईमेल के जरिए ही टीचर्स को वापस भेजना होगा. लैब पेपर्स के लिए भी टीचर्स पहले से हो चुके एक्सपेरिमेंट पर बेस्ड असाइनमेंट्स स्टूडेंट्स को ईमेल के जरिए ही देंगे.  

इंटरनल असेसमेंट में सभी स्टूडेंट्स की अटेंडेंस लॉकडाउन अवधि के दौरान पूरी मानी जाएगी. सभी प्रोफेशनल और टेक्निकल प्रोग्राम के फाइनल और इंटरमीडिएट सेमेस्टर/ टर्म/ ईयर के स्टूडेंट्स के लिए प्रैक्टिकल, विवा और ओरल ( मूट कोर्ट) परीक्षाओं की गतिविधियां स्काइप और मीटिंग ऐप्स के माध्यम से आयोजित की जाएंगी. 

इंटर्नशिप के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने तय किया है कि स्टूडेंट्स ऑनलाइन ही इंटर्नशिप कर सकते हैं, जिसमें सभी गतिविधियां डिजिट रूप से की जा सकती हैं. इंटर्नशिप की अवधि को असाइनमेंट आदि के साथ मिलाकर कम किया जा सकेगा. 

यूजी/पीजी प्रोग्राम के कार्यकर्मों के लिए मूल्यांकन छात्रों द्वारा लॉकडाउन से पहले किए गए असाइनमेंट्स के आधार पर किया जाएगा. कॉलेजों को लेबोरेटरी या फील्ड/ सर्वे बेस्ड असाइनमेंट्स के बजाए सेकेंडरी डाटा पर बेस्ड और सॉफ्टवेयर बेस्ड प्रोजेक्ट्स स्वीकार करने के भी निर्देश दिए गए हैं. 

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