
CBSE Board Exam: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की बोर्ड परीक्षा 4 अप्रैल को खत्म होने जा रही हैं. इसी बीच सीबीएसई ने 'डमी स्कूलों के छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे, उन्हें वह 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देगा. बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि ‘डमी स्कूलों' में प्रवेश के दुष्परिणामों की जिम्मेदारी स्टूडेंट और उसके पैरेंट्स की होगी.
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सीबीएसई ‘डमी स्कूलों' के खिलाफ जारी कार्रवाई के तहत परीक्षा उपनियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं में बैठने से रोका जा सके जो सिर्फ नाम के लिए स्कूल जाते हैं. ऐसे छात्रों को अब बोर्ड परीक्षा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) की परीक्षा देनी होगी. हाल ही में बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि यदि कोई स्टूडेंट स्कूल से गायब पाया जाता है या फिर औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित रहता है, तो ऐसे स्टूडेंट को सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
डमी स्कूल क्या है?
पिछले कुछ सालों से ‘डमी स्कूलों' में एडमिशन का चलन काफी बढ़ गया है. डमी स्कूल ऐसे स्कूल होते हैं जहां छात्रों नहीं जाना होता है. कोचिंग संस्थान छात्रों पर स्कूल के कार्यभार को कम करने के लिए नियमित स्कूलों के साथ गठजोड़ करते हैं. ऐसा करने से स्टूडेंट को नीट, जेईई या एनडीए जैसे दूसरी प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने के लिए अधिक समय मिलता है. पैरेंट्स अपने बच्चों को इंजीनियर और डॉक्टर बनाने की चाह में ‘डमी स्कूलों'में एडमिशन कराते हैं और नीट और जेईई की तैयारी के लिए कोटा भेज देते हैं. बच्चा स्कूल केवल सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में भाग लेने के लिए एडमिट कार्ड केवल कलेक्ट करने और बोर्ड रिजल्ट के बाद मार्कशीट और सर्टिफिकेट लेने आता है.
शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से लागू
अधिकारी ने यह भी कहा कि बोर्ड ‘डमी' संस्कृति को बढ़ावा देने स्कूलों के खिलाफ और परीक्षा उपनियमों के अनुसार कार्रवाई करेगा. बोर्ड की हाल ही में हुई शासकीय बोर्ड बैठक में इस निर्णय को शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से लागू करने की सिफारिश की गई है.
बोर्ड परीक्षा के लिए 75 प्रतिशत अटेंडेंस अनिवार्य
सीबीएसई बोर्ड के नियमों के अनुसार, सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्रों की स्कूलों में न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है. अगर स्टूडेंट की अपेक्षित उपस्थिति पूरी नहीं होती है, तो उन्हें बोर्ड परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी. हालांकि बोर्ड केवल चिकित्सा आपात स्थिति, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी और अन्य गंभीर कारणों जैसे मामलों में ही छात्रों को अटेंडेंस में 25 प्रतिशत की छूट देता है.
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