केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 10वीं और 12वीं कक्षाओं के पहले टर्म की बोर्ड परीक्षा के लिए तय किए गए नये स्वरूप (CBSE Exams New Pattern) का स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने स्वागत किया है और उनका मानना है कि इससे विद्यार्थियों में विवेचनात्मक सोच विकसित करने में मदद मिलेगी. सीबीएसई द्वारा घोषित परीक्षा के नये स्वरूप में एक प्रश्नपत्र हल करने के लिए 90 मिनट का समय होगा और सभी प्रश्न वैकल्पिक एवं वस्तुनिष्ठ होंगे. गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सीबीएसई ने जुलाई में घोषणा की थी कि शिक्षण सत्र 2021-22 से वह 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए विशेष मूल्यांकन योजना लागू कर रही है और इसके तहत सत्र को दो टर्म में बांटा जाएगा. पहले टर्म में मुख्य विषयों की परीक्षा 30 नवंबर से होगी वहीं अन्य विषयों की परीक्षा का कार्यक्रम स्कूलों को अलग से भेजा जाएगा.
डीपीएस-आरएनई गाजियाबाद की प्रधानाध्यापक पल्लवी उपाध्याय ने बताया, ‘‘केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ठीक दो साल बाद इतने बड़े स्तर पर परीक्षा ले रहा है. नये वैकल्पिक और वस्तुनिष्ठ स्वरूप में पढ़ने के लिए पांच मिनट का समय मिला है, जो बहुत अच्छी बात है और इससे छात्रों को सही उत्तर चुनने से पहले प्रश्न और विकल्पों को सही से पढ़ने का मौका मिलेगा. इस लॉकडाउन की अवधि में पहले टर्म की बोर्ड परीक्षा में 90 मिनट का समय होना बहुत अच्छी बात है, पढ़ाने के तरीके, सीखने और समझने की पद्धति तथा तरीकों में आमूल-चूल बदलाव हुआ है.''
उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के कारण शिक्षण के तौर-तरीकों में आए अत्यधिक बदलाव को ध्यान में रखते हुए बोर्ड परीक्षाओं के अंक को दो हिस्सों वैकल्पिक/वस्तुनिष्ठ और विषयपरक में बांटना वाकई बहुत अच्छा है. वहीं, यह भी देखा गया है कि बच्चे वस्तुनिष्ठ परीक्षा के स्थान पर विषयपरक परीक्षा में ज्यादा अंक लाते हैं. विषयपरक परीक्षा में बच्चों को अपने रचनात्मक विचार रखने का मौका मिलता है, वहीं वस्तुनिष्ठ में सिर्फ एक सही उत्तर होता है.'' उपाध्याय ने आगे कहा कि इसपर किसी को ऐतराज नहीं हो सकता है कि यह तरीका विद्यार्थियों में विवेचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है और उनकी रचनात्मक सोच की परख विषय परक परीक्षाओं में की जा सकती है. नोएडा स्थित पेसिफिक वर्ल्ड स्कूल की प्रधानाध्यापिका सीमा कौर के अनुसार, इस साल से परीक्षा के स्वरूप में आए बदलाव और पहले टर्म में वस्तुनिष्ठ प्रश्नपत्र कुछ छात्रों के लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसमें कांसेप्ट अगर स्पष्ट होगा तो फायदा होगा.
कौर ने कहा, ‘‘वास्तविक ध्यान विद्यार्थियों के ज्ञान और कांसेप्ट सही होने की परख करना है. इसे ध्यान में रखते हुए हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि बच्चों को वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का उचित अभ्यास कराया जाए, और कांसेप्ट उन्हें बार-बार बताया जाए ताकि वे प्रश्नों को बेहतर तरीके से समझने में कामयाब हो सकें.'' उन्होंने कहा, ‘‘यह 90 मिनट की परीक्षा सिर्फ आपकी पढ़ाई को जांचने के लिए नहीं है, बल्कि यह बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को परखने का सोचा-समझा प्रयास है. प्रश्न को समझने की क्षमता और तर्कपूर्ण तरीके से विकल्पों को समझने और कक्षाओं में इसकी प्रैक्टिस करने पर बेहतर परिणाम मिलेंगे.''
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