चीनी, शाक-सब्जी तथा कुछ खनिजों और प्राथमिक खाद्य उत्पादों के बाजार में तेजी के चलते थोक मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 1.88 प्रतिशत पर पहुंच गई. पांच महीने में यह इसमें पहली बढ़ोतरी है. हालांकि इस दौरान मैनुफैक्चर्ड गुड्स की महंगाई दर कम हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल जून में 0.90 प्रतिशत थी तथा पिछले साल जुलाई में 0.63 प्रतिशत थी. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के पहले महीने यानी जुलाई में थोक महंगाई दर के दोगुना होने का कारण खासकर कुछ सब्जियों, खनिजों और चीनी जैसी वस्तुओं के दामों में तेजी बताई जा रही है. थोक मुद्रास्फीति में मार्च से गिरावट आ रही थी.
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सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई में 2.15 प्रतिशत रही. सब्जियों की कीमत में जुलाई महीने में 21.95 प्रतिशत का उछाल आया, जबकि जून में इसमें 21.16 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वैसे इस वर्ग में आलू-प्याज के भाव कम हुए हैं. हालांकि विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में घटकर 2.18 प्रतिशत रही, जो जून में 2.27 प्रतिशत थी. ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में कम होकर 4.37 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने में 5.28 प्रतिशत थी.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि मुद्रास्फीति के लिए रुख और हालात को देखते हुए मौद्रिक नीति में अधिक नरम रुख की गुंजाइश है, क्योंकि निजी क्षेत्र का निवेश अब भी कमजोर बना हुआ है. पटेल ने कहा, 'हम जल्दी ही रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की अपेक्षा करते हैं. इसके साथ आगामी त्योहारों के दौरान मांग तथा ग्रामीण आय में सुधार की उम्मीद से खपत को गति मिलनी चाहिए और इस प्रकार निवेश धारणा में सुधार होगा.
सब्जियों के अलावा जिन खाद्य पदार्थों में जुलाई में कीमत वृद्धि देखी गई, उसमें अंडा, मांस, मछली शामिल है. इस खंड में मुद्रास्फीति 3.30 प्रतिशत रही. फलों की मुद्रास्फीति 2.71 प्रतिशत, अनाज 0.63 प्रतिशत तथा धान की महंगाई दर 3.47 प्रतिशत दर्ज की गई. चीनी की महंगाई दर जुलाई में 8.44 प्रतिशत तथा खनिज की 1.90 प्रतिशत रही.
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