नागर विमानन मंत्रालय और कंपनी मामलों के मंत्रालय ने जेट एतिहाद सौदे पर कुछ चिंता जताई है। दोनों मंत्रालयों ने अंतत: घरेलू विमानन कंपनी के नियंत्रण को लेकर चिंता जताई है। ऐसे में लगता है कि जेट एयरवेज और एतिहाद को 2,058 करोड़ रुपये के प्रस्तावित सौदे में स्वामित्व के ढांचे पर नए सिरे से काम करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की शुक्रवार को हुई बैठक में यह मुद्दा उठा था। ‘‘सौदे के बाद जेट एयरवेज के नियंत्रण को लेकर नागर विमानन मंत्रालय और कंपनी मामलों के मंत्रालय ने चिंता जताई है।’’ यह सौदा जेट एयरवेज द्वारा अपनी 24 प्रतिशत हिस्सेदारी अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज को बेचने से संबंधित है। एफआईपीबी ने फिलहाल इस प्रस्ताव को टाल दिया है।
सरकार द्वारा पिछले साल सितंबर में विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू एयरलाइंस में हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दिए जाने के बाद से यह विमानन क्षेत्र में सबसे बड़ा विदेशी निवेश का प्रस्ताव है।
घरेलू एयरलाइंस में स्वामित्व तथा नियंत्रण के ढांचे को लेकर मुख्य रूप से चिंता जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) पहले ही इस सौदे को लेकर अपनी आपत्ति जता चुके हैं।
एफआईपीबी की शुक्रवार को हुई बैठक के बाद आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा, ‘‘जेट-एतिहाद सौदे पर प्रस्ताव टाल दिया गया है। हमें प्रभावी नियंत्रण एवं स्वामित्व पर और जानकारी चाहिए।’’ हालांकि, नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा है कि उन्हें इस सौदे को लेकर कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आती।
सूत्रों का कहना है कि सेबी की चिंता के बाद सौदे में बदलाव किए जा रहे हैं। शेयर खरीद करार और कंपनी के संविधान में परिवर्तन किए जा रहे हैं जिससे कंपनी का प्रभावी नियंत्रण एतिहाद को हस्तांतरित न होने पाए।
जेट-एतिहाद सौदे को नियामकीय अधिकारियों की मंजूरी के बाद एयरलाइन में जेट एयरवेज के प्रवर्तक नरेश गोयल की सीधी हिस्सेदारी होगी। जबकि एतिहाद के पास 24 फीसद हिस्सेदारी रहेगी।
नागर विमानन क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का पिछले साल सितंबर में संशोधन किया गया। इसके तहत विदेशी एयरलाइंस और विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारतीय एयरलाइन में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति होगी। प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को पहले ही 100 प्रतिशत निवेश की अनुमति है।