ADVERTISEMENT

जेपी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा करने का दिया आदेश

जेपी ग्रुप ने अर्जी में कहा था कि वह यमुना एक्सप्रेसवे के पास की अपनी संपत्ति बेचकर फ्लैट खरीदारों का बकाया चुकाना चाहता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी08:32 PM IST, 25 Oct 2017NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

सुप्रीम कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे को 2500 करोड़ रुपये में दूसरी कंपनी को सौंपने की अर्जी खारिज कर दी. जेपी ग्रुप ने अर्जी में कहा था कि वह यमुना एक्सप्रेसवे के पास की अपनी संपत्ति बेचकर फ्लैट खरीदारों का बकाया चुकाना चाहता है. करीब 30 हजार खरीदारों को अभी तक फ्लैट नहीं मिला है. जेपी इंफ्राटेक ने कहा कि वह यमुना एक्सप्रेसवे की संपत्ति दूसरे डेवलपर को बेचना चाहता है, जिसने इसके लिए उसे 2500 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि 5 नवंबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा करे. इससे पहले कोर्ट ने 27 अक्टूबर तक पैसे जमा कराने को कहा था. 

यह भी पढ़ें : आम्रपाली या फिर जेपी: अदालत और कंपनी के बीच फंसे 60000 से ज्यादा फ्लैट खरीदार 

यमुना एक्सप्रेसवे को सिंगापुर की कंपनी को सौंपना चाहता है जेपी ग्रुप
जेपी ग्रुप की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह 165 किलोमीटर लंबे 6 लेन के यमुना एक्सप्रेसवे को किसी दूसरी कंपनी को 2500 करोड़ रुपये में सौंपना चाहता है, ताकि वह निवेशकों के वापस करने के लिए दो हजार करोड़ रुपये दे सके. उन्होंने सील कवर में ये कागजात भी कोर्ट में दाखिल किए.

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट भी फ्लैट खरीददारों की हालत से चिंतित, कहा- आंसू नहीं देख सकते

वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस तरह एक्सप्रेसवे किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसमें यमुना एक्सप्रेववे अथॉरिटी और यूपी सरकार भी स्टेक होल्डर है. इसके अलावा इसके प्रोजेक्ट से 15 वित्तीय संस्थान भी जुडे हैं. जेपी ने यह हाइवे बोली लगाकर लिया था और इसे किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता. वहीं IRB की ओर से कहा गया कि जेपी 22 हजार फ्लैट देने में नाकाम रहा है और मार्च 2021 तक 5000 करोड़ रुपये और चाहिए. 

यह भी पढ़ें : दिवालिया होगा जेपी इंफ्राटेक, 32 हज़ार लोगों का टूटा घर का सपना

जेपी इंफ्रा मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी ख़रीदारों को पैसा वापस नहीं करना चाहता. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन फ़्लैट ख़रीदारों को पैसे चाहिए उनको पैसे मिलेंगे, लेकिन जो फ़्लैट वापस चाहते हैं तो कंज्यूमर कोर्ट में जाएं क्योंकि पैसा दिलाना ज्यादा आसान है. 

VIDEO: दिवालिया घोषित होगी जेपी इंफ्राटेक, क्‍या होगा ग्राहकों का...



इस प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट खरीदने वाले 40 लोगों ने पिछले साल लाए गए 'दिवालियापन कानून' को चुनौती दी थी. इसके तहत बैंक डेवलपर की प्रोपर्टी बेचकर बकाया लोन की पूर्ति कर लेगा. हालांकि घर खरीदने वालों के लिए किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया. 500 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाने पर बैंकों से कहा गया था कि जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित किया जाए. अगर कंपनी अपने आपको दिवालिया घोषित करती है तो खरीदारों को उनसे वादा किया गया फ्लैट या निवेश की गई रकम वापस मिलने की संभावना नहीं है. अगस्त महीने में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर्स को दिवालिया घोषित किया था. 

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT