उच्चतम न्यायालय ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के तीसरे और चौथे ग्रेड के अस्थायी कर्मचारियों के मामले में अपने पहले के आदेश में सुधार करते हुए निगम से इन्हें नियमित करने और उसके परिणामस्वरूप होने वाले लाभ के तहत उन्हें उनके पिछले वेतन का 50 प्रतिशत भुगतान करने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने निगम पर इन कर्मचारियों के मामले में पिछले वेतन के भारी भुगतान बोझ को देखते हुए अपने पहले के आदेश में सुधार किया है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने इन अस्थायी कर्मचारी को पहले के पूरे वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा और सी. नागप्पन की पीठ ने एलआईसी को आठ सप्ताह के भीतर आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। एलआईसी के ये अस्थायी कर्मचारी पिछले 25 साल से विभिन्न मंचों पर अपनी नौकरी को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। एलआईसी ने उच्चतम न्यायालय के पहले के आदेश पर समीक्षा याचिका दायर की थी।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘एलआईसी पर इसके भारी वित्तीय बोझ को ध्यान में रखते हुए हमें यह उचित लगता है कि केवल पिछले वेतन के भुगतान मामले में राहत में सुधार किया है और इसलिए हम पिछले वेतन का उसके परिणामी लाभों सहित 50 प्रतिशत भुगतान का आदेश देते हैं।’’ पीठ ने बीमा कंपनी द्वारा दायर समीक्षा याचिका का निपटान करते हुए कहा, ‘‘कर्मचारियों के पिछले वेतन की गणना वर्कमैन के सकल वेतन के आधार पर की जानी चाहिये। यह गणना कर्मचारियों के वेतन में समय समय पर होने वाले संशोधन के अनुरूप होनी चाहिये।’’