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मौद्रिक-नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर स्थिर रख सकता है रिजर्व बैंक

विश्लेषकों की राय में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन खुदरा मुद्रास्फीति के रझानों को देखते हुए कल मौद्रिक नीति की अपनी आखिरी समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में फिलहाल शायद ही कोई ढील दें. मुद्रास्फीति इस समय संतोषजनक स्तर से कुछ ऊपर है.
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NDTV Profit हिंदी03:55 PM IST, 08 Aug 2016NDTV Profit हिंदी
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विश्लेषकों की राय में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन खुदरा मुद्रास्फीति के रझानों को देखते हुए मंगलवार को मौद्रिक नीति की अपनी आखिरी समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में फिलहाल शायद ही कोई ढील दें. मुद्रास्फीति इस समय संतोषजनक स्तर से कुछ ऊपर है.

इस बार की द्वैमासिक मौद्रिक नीतिगत समीक्षा बैठक ऐसी आखिरी बैठक होगी जिसमें नीतिगत दरों का निर्णय आरबीआई गवर्नर करते हैं. इसके बाद यह काम छह सदस्यों वाली नई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) करेगी. एमपीसी 4 अक्तूबर को अगली समीक्षा बैठक से पहले अपनी जिम्मेदारी संभाल लेगी.

सरकार इस महीने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्यों के अलावा राजन के उत्तराधिकारी का नाम भी सुझा सकती है.

पिछले हफ्ते सरकार ने रिजर्व बैंक के लिए अगले 5 साल तक खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत या उससे दो प्रतिशत नीचे ऊपर के दायरे में सीमित रखने का लक्ष्य तय किया है. आने वाले दिनों में ब्याज दर निर्धारित करने वाली नई मौद्रिक नीति समिति मौद्रिक नीति संबंधी फैसले इस लक्ष्य को ध्यान में रख कर करेगी.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि सब्जियों की कीमत बढ़ रही है. सब्जियों की कीमत घटने में कुछ महीने लग सकते हैं जब तक कि खरीफ की फसल बाजार में नहीं आ जाती.’ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक या खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.77 प्रतिशत रही जो पिछले 22 महीने का उच्चतम स्तर है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है.

यस बैंक के प्रबंध निदेशक राणा कपूर का हालांकि मानना है कि वृहत्-आर्थिक हालात आरबीआई के लिए नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश पैदा करते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्रिटेन समेत विभिन्न देशों में नीतिगत दरें कम की जा रही हैं जिससे केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद बढ़ती है.

कपूर ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में कई अनुकूल घटनाक्रम - औसत से बेहतर मानसून, सरकारी प्रतिभूतियों की कमतर दर, उच्च विदेशी मुद्रा भंडार, राजकोषीय और चालू खाते का घाटा सीमित दायरे में रहना - नीतिगत दर में कम से कम 0.5 प्रतिशत की कटौती की गुंजाइश प्रदान करते हैं.’’ लंबे समय तक सख्त मौद्रिक नीति अपनाने के लिए आलोचना के शिकार राजन ने पिछले साल जनवरी से अब तक ब्याज दर में 1.5 प्रतिशत की कटौती की है. उसके बाद से वह वाणिज्यिक बैंकों को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे है कि वे नीतिगत दर में हुई कटौती का फायदा ग्राहकों को दें.

विशेषज्ञों का मानना है कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि नकदी पर्याप्त है.

एक सरकारी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘‘इस समीक्षा में कुछ भी नहीं बदलने वाला क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति का स्तर वहां तक नहीं पहुंचा है जितना आरबीआई चाहता था. बाजार ने पहले ही मान लिया है कि इस बार नीतिगत दर में कटौती नहीं होनी है.’’ उसने कहा, ‘‘प्रणाली में नकदी पर्याप्त है इसलिए सीआरआर में बदलाव नहीं होगा.’’ एक अन्य वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि गवर्नर की पिछली नीतिगत समीक्षा के मुकाबले कोई बदलाव नहीं हुआ है और ब्याज दर में कटौती की संभावना नहीं है.

बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच का मामना है कि अच्छी बारिश से यदि दाल की कीमतों पर नरमी आती है तो आरबीआई 9 अगस्त को वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर (रेपा) 0.25 प्रतिशत कम कर सकता है. डीबीएस ने कहा है कि आरबीआई अगली समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर पर यथास्थिति बरकरार रख सकता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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