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Privatization of Public Banks : दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए संसद में बिल, पेंशन कानून में भी संशोधन

केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए बिल लाने की घोषणा की थी. सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में डाइवेस्टमेंट यानी विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, इसी के तहत सरकार दो सरकारी बैंकों के निवेश का रास्ता तैयार कर रही है.
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NDTV Profit हिंदी12:20 PM IST, 24 Nov 2021NDTV Profit हिंदी
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दो सरकारी बैंकों के निजीकरण (Banks Privatization) के लिए केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लाने जा रही है. शीतकालीन सत्र 29 नवंबर यानी अगले सोमवार से ही शुरू हो रहा है. इस दौरान सरकार निजीकरण के लिए Banking Laws (Amendment) Bill, 2021 संसद में पेश करेगी. इस सत्र में सरकार का इरादा कुल 26 बिल पेश करने का है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल, 2021 इस सत्र के लिए लिस्टेड है. हो सकता है कि ये बिल इसी सत्र में पास कर दिया जाए.

बता दें कि इस साल फरवरी में केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए बिल लाने की घोषणा की थी. सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में डाइवेस्टमेंट यानी विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, इसी के तहत सरकार दो सरकारी बैंकों के निवेश का रास्ता तैयार कर रही है. 

अब चूंकि बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग कानूनों में संशोधन की जरूरत है, इसलिए सरकार ये बिल ला रही है. इस बिल में Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Acts, 1970  व 1980 में संशोधन करने का प्रावधान है, वहीं, Banking Regulation Act, 1949 में भी कुछ बदलाव किया जाना है. 

NPS ट्रस्ट के लिए अलग से बिल

इसके अलावा पेंशन से जुड़ा भी एक अहम बिल इस शीतकालीन सत्र में पेश होने जा रहा है. Pension Fund Regulatory and Development Authority (PFRDA) Act में बदलाव के लिए सरकार Pension Fund Regulatory and Development Authority (Amendment) Bill, 2021 ला रही है. इसका उद्देश्य सरकारी पेंशन विभाग का काम देखने वाली संस्था PFRDA से नेशनल पेंशन सिस्टम को अलग करना है.

बजट-2020 में केंद्र सरकार ने यूनिवर्सल पेंशन कवरेज लागू करने की घोषणा की थी, इस बिल से सरकार इस लक्ष्य को भी पाना चाहती है. सूत्रों ने बताया है कि PFRDA एक्ट में संशोधन से NPS ट्रस्ट की शक्ति, कार्यान्वयन और दायित्व वगैरह किसी चैरिटेबल ट्रस्ट या कंपनीज़ एक्ट के तहत आ जाएगा. एनपीएस ट्रस्ट अभी PFRDA Regulations 2015 के तहत आता है.

दरअसल, सरकार एनपीएस ट्रस्ट को पेंशन नियामक संस्था से अलग रखना चाहती है और इसका मैनेजमेंट एक 15 सदस्यीय बोर्ड को सौंपना चाहती है. चूंकि इस फंड में सबसे ज्यादा पैसा केंद्र सरकार से आता है, ऐसे में इस बोर्ड में राज्य सरकार के सदस्यों के अलावा केंद्र सरकार की ओर से अधिकतर सदस्य हो सकते हैं.

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