दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को कहा कि भला हो उच्चतम न्यायालय का कि दूरसंचार क्षेत्र कुछ समय तक ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि यदि अदालतें आर्थिक नीति निर्माण में शामिल होंगी, तो हम गंभीर संकट में पड़ जाएंगे। दूरसंचार मंत्री ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई की सालाना आम बैठक तथा राष्ट्रीय सम्मेलन 2013 को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दूरसंचार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी, जो सोने का अंडा दे रही थी। उच्चतम न्यायालय ने सुनिश्चित किया है कि अब कुछ समय तक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी सोने का अंडा नहीं देगी।’’
सिब्बल देश में कामकाज के संचालन के मुद्दे पर बोल रहे थे। हालांकि, सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय के किसी विशेष फैसले का जिक्र नहीं किया, लेकिन उनका इशारा शीर्ष अदालत द्वारा 2008 के स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में 2जी मोबाइल सेवाओं के 122 लाइसेंस रद्द करने के फैसले की ओर था।
उन्होंने कहा, ‘‘2010 से 2013 के दौरान सभी प्रकार के प्रयोगों, सभी अदालती फैसलों, 1,76,000 करोड़ रुपये, हमें अपनी झोली में मिले सिर्फ 1,000 करोड़ रुपये।’’ दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अप्रैल-नवंबर, 2012 के दौरान घटकर 7.04 करोड़ डॉलर रह गया, जो इससे एक साल पहले इसी अवधि मं 198.71 करोड़ डॉलर था।
दूरसंचार मंत्री ने कहा कि अदालत के फैसले से उपभोक्ता, उद्योग और सरकार किसी को भी फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘कॉल दरें बढ़ गईं। इससे उपभोक्ता को फायदा नहीं हुआ। यह क्षेत्र 2.50 लाख करोड़ रुपये के बोझ से दबा है। ऐसे में इस क्षेत्र को भी फायदा नहीं हुआ। सरकार को सिर्फ 1,000 करोड़ रुपये मिले। इसलिए सरकार भी लाभ में नहीं रही। मैं जानना चाहूंगा कि किसको फायदा हुआ।’’