कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) शेयर ब्रोकरों (Stock Brokers) के लिये साइबर सुरक्षा नियम (Cyber Security Framework) लाने की तैयारी में है. इससे साइबर धोखाधड़ी, आंकड़ों की चोरी और ट्रेडिंग खातों की हैकिंग के जोखिम की आशंका कम होगी. एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंजेज मेम्बर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के अध्यक्ष कमलेश शाह ने पीटीआई से कहा कि साइबर सुरक्षा को लेकर विधान का मकसद शेयर ब्रोकर के साथ-साथ उनके ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है. इसमें वे उपाय, प्रक्रियाएं और उपकरण शामिल हो सकते हैं, जो साइबर हमले को रोकने और साइबर मजबूती के मामले में सुधार को लेकर मददगार हैं.
मार्केट रेगुलेटर SEBI का यह कदम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये किये जा रहे उपायों का हिस्सा है. सेबी ने दिशानिर्देश तैयार करने के लिये एक समिति बनाई है, जिसमें नियामक, शेयर बाजार और एएनएमआई के प्रतिनिधि शामिल हैं. प्रतिभूति बाजार में तेजी से हो रहे तकनीकी विकास से आंकड़ों की सुरक्षा और निजता बनाये रखने की एक चुनौती है. इसको देखते हुए शेयर ब्रोकरों के लिए एक मजबूत साइबर सुरक्षा और साइबर मजबूती की जरूरत है.
एएनएमआई के अध्यक्ष कमलेश शाह ने कहा, शेयर ब्रोकर के पास निवेशकों के बहुत सारे महत्वपूर्ण आंकड़े होते हैं और यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे ऐसी सूचना को साइबर धोखाधड़ी तथा ट्रेडिंग खातों की हैकिंग के जोखिम से बचाएं ताकि निवेशकों को इसके कारण नुकसान उठाना नहीं पड़े. उन्होंने कहा कि समिति दिसंबर के अंत तक दिशानिर्देश का मसौदा सेबी को दे सकती है, लेकिन अंतिम रूप से नियमों के क्रियान्वयन में कम-से-कम एक साल का समय लग सकता है. शाह के अनुसार, समिति एक ऐसे समाधान पर काम कर रही है जो छोटे दलालों के लिए भी वहन करने योग्य होगा, अन्यथा ढांचे का पूरा उद्देश्य विफल हो जाएगा.
SEBI ने जून में स्टॉक ब्रोकरों से कहा था कि वे ऐसी घटनाओं का पता चलने के छह घंटे के भीतर उनके द्वारा अनुभव किए गए सभी साइबर हमलों, खतरों और उल्लंघनों की रिपोर्ट करें. उन्हें निर्दिष्ट समय के भीतर एक्सचेंजों, डिपॉजेटरी और नियामक को ऐसी घटनाओं की सूचना देनी होती है.
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