SBI Ecowrap Report: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर आरबीआई के टॉलरेंस रेंज 6 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दर (Retail Inflation Rate) मार्च 2023 तक घटकर 5 प्रतिशत हो जाएगी. एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने अपनी लेटेस्ट इकोरैप रिपोर्ट (Ecowrap Report) में यह बात कही है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जनवरी-मार्च 2023 के दैरान औसत खुदरा मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी. सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर 5.72 फीसदी रही है. इस दौरान में पिछले महीने की तुलना में खुदरा मुद्रास्फीति में मामूली गिरावट देखी गई है.
देश में खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने के दौरान 6.77 प्रतिशत और नवंबर में 5.88 प्रतिशत थी. भारत में खुदरा मुद्रास्फीति पिछले साल अक्टूबर तक 6 प्रतिशत से ऊपर रही, जो आरबीआई के कंफर्ट ज़ोन से ऊपर था. वहीं, सीपीआई (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसम्बर 2022 में 12 महीने के निचले स्तर 5.72 प्रतिशत पर आ गई.
एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट (SBI Research Report) को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार (Group Chief Economic Advisor) सौम्य कांति घोष द्वारा लिखा गया है. इसमें कहा गया है, "बदलते परिदृश्य के खिलाफ आगे रेपो दर में वृद्धि की बहुत कम उम्मीद है. रेपो दर में किए गए वृद्धि का अभी तक पूरा प्रभाव नहीं दिखा है"
आपको बता दें कि आरबीआई (RBI) ने बढ़ती मुद्रास्फीति से निपटने मई 2022 से 225 बेसिस प्वॉइंट की प्रमुख नीतिगत दर को पहले ही 6.25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था, जो लगभग तीन तिमाहियों के टॉलरेस रेंज से ऊपर रही है. हालांकि, ब्याज दरें बढ़ाने से आम तौर पर मुद्रास्फीति पर ब्रेक लगता है. पिछले साल 7 दिसंबर को आखिरी बार रेपो रेट (Repo Rate) में बदलाव किया गया .आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए नीतिगत रेपो दर में 35 आधार अंकों की वृद्धि की थी.
आरबीआई की अगली तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक 6-8 फरवरी को होनी है. जिसमें आगे भी नीतिगत रेपो दर को बढ़ाया जा सकता है.